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सामने आया एक और बैंक घोटाला, छत्‍तीसगढ़ में यूको बैंक को लगी करोड़ों की चपत

जानकारी के मुताबिक यूको बैंक की मेन ब्रांच के अफसरों ने मोहन ट्रेडर्स नामक एक फर्म को फायदा पहुंचाने के लिए बड़े पैमाने पर गोलमाल किया. इसमें मोहन ट्रेडर्स के मालिक विनय कुमार केला और मूल्यांकनकर्ताओं के आलावा बैंक अफसरों को भी आरोपी बनाया गया है.

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सीबीआई ने आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की
सीबीआई ने आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की

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नीरव मोदी और पीएनबी बैंक की आपसी सांठगांठ से हुए अरबों के गोलमाल के बाद बैंकिंग सेक्टर की अब जाकर आंख खुल रही है. अब बैंकिंग घोटाले एक-एक कर सामने आ रहे हैं. ताजा मामला छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले का है. यहां बैंक में बंधक कीमती जमीन को एक शख्स ने बैंक अधिकारियों की मदद से बिना लोन चुकाए बेच डाला. खुलासे के बाद सीबीआई ने आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है.

जानकारी के मुताबिक यूको बैंक की मेन ब्रांच के अफसरों ने मोहन ट्रेडर्स नामक एक फर्म को फायदा पहुंचाने के लिए बड़े पैमाने पर गोलमाल किया. इसमें मोहन ट्रेडर्स के मालिक विनय कुमार केला के अलावा बैंक अफसरों को भी आरोपी बनाया गया है.

फरवरी 2011 में यूको बैंक ने मोहन ट्रेडर्स फर्म को नोटिस जारी किया था. इसमें उसके द्वारा मॉडगेज के तौर पर की गयी बोरियाखुर्द स्थित जमीन का कब्ज़ा बैंक द्वारा लिए जाने की बात कही गयी थी. लेकिन जब बैंक के अधिकारी मौके पर पहुंचे तो उन्होंने पाया कि उक्त भूमि पर कई मकान बने हुए हैं. यह देखकर बैंक अधिकारियों के होश उड़ गए. जिस जमीन के दस्तावेज बैंक में मॉडगेज के तौर पर रखे गए थे, उस जमीन पर कई-कई आलिशान मकान बन चुके थे.  

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प्रारंभिक जांच में बैंक अफसरों ने पाया कि दस्तावेजों में भारी हेर-फेर करके विजय कुमार केला की ऋण सीमा को बार-बार बढ़ाया गया था. इसके बाद बैंक अधिकारीयों ने जबलपुर स्थित लोन रिकवरी ट्रिब्यूनल में लोन रिकवरी को लेकर केस दर्ज कराया. चार साल रिकवरी ट्रिब्यूनल में केस चलने के बाद मोहन ट्रेडर्स ने बैंक से 4.25 करोड़ रुपए का समझौता करने का प्रस्ताव रखा. जिसे ट्रिब्यूनल ने मार्च 2015 में मंजूर कर लिया. इस राशि को जमाकर मोहन ट्रेडर्स ने नोड्यूज सर्टिफिकेट हासिल कर लिया, लेकिन इस पूरे मामले में बैंक को कुल 5 करोड़ 32 लाख 54 रुपए घाटा सहना पड़ा. इसके साथ-साथ 2006 में रायपुर यूको बैंक की मुख्य ब्रांच ने मोहन ट्रेडर्स को 50 लाख की कैश क्रेडिट लिमिट दी गई थी. इसके बदले में कंपनी ने रायपुर स्थित पॉश इलाकों में कुल 1 लाख 36 हजार 680 स्क्वायर फिट के दो प्लाट बंधक रखे थे.

सीबीआई की एफआईआर में कहा गया था कि 2013 में ही पता चल गया था कि कंपनी फ्रॉड कर रही है. लेकिन कार्रवाई में तीन साल लगा दिए गए. एफआईआर में यूको बैंक के जनरल मैनेजर सी. रामकृष्णा पर आरोप लगाते हुए कहा गया है कि उन्होंने वादी द्वारा दी गई संपत्ति का पुनर्मूल्यांकन नहीं कराया और न ही उसका स्थलीय निरीक्षण किया. इस मामले में तत्कालीन सीनियर मैनेजर एके पटनायक पर भी कार्रवाई की गई.

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