छत्तीसगढ़ में आत्मसमर्पण करने वाले कुख्यात नक्सली लीडर पहाड़ सिंह से तीन राज्यों की पुलिस पूछताछ करेगी. एक करोड़ का इनामी पहाड़ सिंह छत्तीसगढ़ के अलावा मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में भी कई बड़ी वारदातों को अंजाम दे चुका है. भिलाई में छत्तीसगढ़ पुलिस की पूछताछ में उसने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. उसने चुनाव के दौरान बड़ी नक्सली साजिश का भी प्लान पुलिस को बताया है. पहाड़ सिंह नक्सलियों की जोनल कमेटी का प्रमुख था और पिछले 20 वर्षों से कई नक्सली गतिविधियों में शामिल था.
बता दें कि आधा दर्जन से ज्यादा नक्सली गनमैन की सुरक्षा में रहकर छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश की सीमा में लाल आतंक का पर्याय बन चुके इनामी नक्सली कमांडर पहाड़ सिंह ने दुर्ग रेंज के आईजी जीपी सिंह के समक्ष आत्मसमर्पण किया था. पुलिस इसे अपनी बड़ी कामयाबी मान रही है. यह आत्मसमर्पण उस वक्त हुआ है, जब बस्तर में सुरक्षा बलों ने नक्सलियों पर भारी दबाव बनाया है.
दूसरी ओर नक्सलियों ने इस दबाव से बचने के लिए इन तीनों राज्यों की सरहद को अपना सुरक्षित ठिकाना बनाने की पहल शुरू की थी. इस सरहद पर बालाघाट, राजनांदगांव, गोंदिया और गढ़चिरोली में नक्सलियों ने अपना नया जोन बनाया था. इसकी जिम्मेदारी पहाड़ सिंह पर थी, लेकिन बड़े नक्सली नेताओं की कार्यप्रणाली से नाराज पहाड़ सिंह आत्मसमर्पण करके देश की मुख्यधारा से जुड़ गया.
नक्सली लीडर पहाड़ सिंह उर्फ कुमार साय उर्फ राम मोहन सिंह टोप्पो के ऊपर सिर्फ छत्तीसगढ़ में ही 47 लाख रुपये का इनाम था. तीनों राज्यों में इनाम की राशि एक करोड़ से ऊपर बताई जा रही है. आईजी जीपी सिंह ने बताया कि पहाड़ सिंह ने तीनों राज्यों में कई बड़ी वारदातों को अंजाम दिया है. वह जीआरबी डिवीजन का सचिव था. लंबे समय से पुलिस को उसकी तलाश थी, लेकिन हर बार सर्च ऑपरेशन के दौरान वह बच निकलता था. पुलिस और सुरक्षा बल के जवानों को चकमा देने में वो काफी माहिर है.
आईजी जीपी सिंह के मुताबिक पहाड़ सिंह के महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की स्पेशल जोनल कमेटी के सचिव बनने के बाद नक्सलियों के हौसले बुलंद हो रहे थे, लेकिन अब इस आत्मसमर्पण से उनके अरमानों पर भी पानी फिर गया है. उन्होंने कहा कि इसका समर्पण पुलिस की बड़ी सफलता और नक्सली संगठन के लिए बड़ा झटका है. इससे न सिर्फ नक्सलियों की कमर टूटेगी, बल्कि चुनाव के दौरान उनके अभियानों पर भी विपरीत प्रभाव पड़ेगा. पहाड़ सिंह मूल रूप से राजनांदगांव के फाफामार गांव का रहने वाला है.
आईजी जीपी सिंह ने बताया कि आदिवासियों के साथ हो रहे नर संहार से पहाड़ सिंह काफी पीड़ित था. उन्होंने बताया कि नक्सली आदिवासियों पर कभी पुलिस मुखबिरी का आरोप लगाकर तो कभी उनके आंदोलन में हिस्सा नहीं लेने पर उन्हें मौत के घाट उतार रहे हैं. इससे आहत होकर पहाड़ सिंह ने आत्मसमर्पण किया. उन्होंने कहा कि पहाड़ सिंह के मुख्यधारा में लौटने से नक्सली एमएमसी को बड़ा झटका लगा है. पहाड़ सिंह एक अच्छा वक्ता भी है. इस वजह से लोगों की बैठके लेकर उन्हें अपने संगठन में जोड़ने में भी वह माहिर है. इसका फायदा अभी तक नक्सली संगठन उठा रहे थे.
आत्मसमर्पण के बाद पहाड़ सिंह ने भी नक्सलियों को उनके कार्यों के लिए जमकर लताड़ा. उसने स्वीकार किया कि नक्सली विचारधारा से प्रभावित होकर उसने 20 साल पहले नक्सली बन गया था, लेकिन अब नक्सलवाद पूरी तरह से भटक चुका है. नक्सली अब अपराधी माने जाते हैं और लूट-खसोट के लिए जाने जाते हैं. इसलिए उसने उनका साथ छोड़ने का फैसला किया.