छत्तीसगढ़ के कांकेर में बांदे थाने के परलकोट गांव में एक बार फिर नक्सलियों का वहिशयानापन सामने आया है. नक्सलियों ने जनअदालत लगाकर मुखबिरी के शक में एक ग्रामीण की हत्या कर दी. हफ्ते भर के भीतर इस तरह से नक्सलियों ने पांच ग्रामीणों की हत्या की है. ये सभी हत्याएं सुकमा, नारायणपुर और दंतेवाड़ा में जंगल के भीतर बसे गांव की हैं.
जनअदालतों में नक्सलियों ने 14 से ज्यादा ग्रामीणों को बुरी तरह से पीटा भी है. मुखबिरी का आरोप लगाकर निर्दोष ग्रामीणों को मौत के घाट उतारने के पीछे नक्सलियों का मकसद ग्रामीणों के बीच अपनी दहशत और खौफ को बरकरार रखना है. हाल ही में जिस शख्स को जनअदालत में मौत की सजा सुनाई गई उस ग्रामीण का नाम अजित है. लगभग दो दर्जन नक्सलियों ने देर रात अजित के घर हमला कर दिया. उसे घर से निकालकर बीच सड़क में ले जाया गया फिर गोली मारकर हत्या कर दी गई. हत्या करने के बाद नक्सलियों ने पर्चे भी छोड़े हैं. जिसमें अजित को मुखबिर बताते हुए कहा गया है कि वो नक्सलियों की सूचना पुलिस को देता था.
ग्रामीणों को किया जाता है लहू लुहान
बस्तर में भारी भरकम पुलिस और केंद्रीय सुरक्षाबलों की तैनाती के बावजूद जनअदालतें लगाकर नक्सली दल सरकार को कड़ी चुनौती दे रहा है. ग्रामीण इलाकों में होने वाले अपराध और विवादों का निपटारा जनअदालतों में होने लगा है. इससे पुलिस, पंचायत और अदालती संस्थाएं हैरत में हैं. नक्सली हर उस इलाके में जनअदालतें लगा रहे हैं, जहां केंद्रीय सुरक्षाबलों की आवाजाही और कैंप लगे हुए हैं. ज्यादतर मामलों में नक्सलियों ने बगैर सुनवाई के ही एक तरफ ग्रामीणों को मारा है. गांव वालों को इकट्ठाकर उनके सामने घातक हथियारों से निर्दोषों का शरीर लहू लुहान किया जाता है. फ़र्शे और धारदार तलवार से शरीर के कई टुकड़े कर जनअदालतों में सजा दी जाती है.
इससे फैलने वाली दहशत से एक बड़ी ग्रामीण आबादी नक्सलियों की हां में हां मिलाती है. उनके हर एक हुक्म का पालन करती है. दूसरी ओर जनअदालत खत्म होने के बाद पुलिस मौके में पहुंचकर घटना के साक्ष्य इकट्ठा करती है. फिर लाश को पोर्स्टमार्टम कराकर शव परिजनों को सौंपने की औपचारिकता पूरी की जाती है. फिर नक्सलियों की छानबीन शुरू करने का दावा किया जाता है.