लोकसभा चुनाव के लिए होने वाले पहले चरण के मतदान से पहले छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में मंगलवार को नक्सलियों ने बड़ा हमला किया जिसमें बीजेपी विधायक भीमा मंडावी समेत 5 लोगों की मौत हो गई. मतदान से ठीक 2 दिन पहले हुआ यह नक्सली हमला राज्य में फिर से जनाधार पाने की कोशिशों में जुटी भारतीय जनता पार्टी के लिए बड़ा झटका हो सकता है. हालांकि ऐसा पहली बार नहीं है कि चुनाव के दौर में नक्सलियों ने जनप्रतिनिधियों को अपना निशाना बनाया है.
पिछले साल के अंत में दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को राज्य में शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा था. 15 साल से राज्य की सत्ता पर काबिज बीजेपी को तब 90 में से महज 15 सीटें ही हासिल हुई थीं. विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद लोकसभा चुनाव में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए बीजेपी लगातार प्रयास में जुटी हुई है.
नक्सल प्रभावित क्षेत्र दंतेवाड़ा में जिस जगह यह हमला हुआ, उस बस्तर लोकसभा क्षेत्र में पहले चरण में यानी 11 अप्रैल को मतदान होना है. चुनाव से ठीक पहले इस हमले में अपना एक मजबूत नेता गंवाना बीजेपी को नुकसान पहुंचा सकता है. भीमा मंडावी दंतेवाड़ा विधानसभा क्षेत्र से ही विधायक हैं. दंतेवाड़ा बस्तर लोकसभा क्षेत्र में पड़ता है.
क्षेत्र के कद्दावर नेता
दूरगामी राजनीति के लिहाज से देखा जाए तो बीजेपी के लिए ये हमला झटका हो सकता है. इस युवा और प्रभावशाली नेता की अपने संभाग में अच्छी पकड़ थी और इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि जब पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी हर जगह से हार रही थी तो भीमा ने दंतेवाड़ा में जीत हासिल की थी.
दंतेवाड़ा से बीजेपी विधायक भीमा मंडावी की छवि अपने क्षेत्र में एक कद्दावर नेता की थी. बस्तर संभाग से पिछले विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने वाले भीमा एकमात्र बीजेपी के नेता थे. इस जीत का फायदा भी उन्हें मिला क्योंकि विधानसभा चुनाव में उपनेता भी बना दिया गया. बतौर कट्टर हिंदूवादी नेता के रूप में अपनी छवि बनाने वाले भीमा लंबे समय तक विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) से जुड़े रहे थे. भीमा मंडावी भारतीय जनता पार्टी के आदिवासी युवा मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं.
चुनाव आयोग की चिंता बढ़ी
नक्सल प्रभावित राज्य छत्तीसगढ़ में कुल तीन चरणों में 11 अप्रैल, 18 अप्रैल और 23 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे. 17वीं लोकसभा के लिए पहले चरण के मतदान शुरू से ठीक 36 घंटे पहले दंतेवाड़ा में हुए नक्सली हमले ने चुनाव आयोग की चिंता बढ़ा दी है. चुनाव आयोग नक्सली इलाकों में सुरक्षा इंतजाम बढ़ाने को लेकर आपातकालीन विचार-विमर्श कर रहा है.
सूत्रों के मुताबिक इस बाबत छत्तीसगढ़, ओडिशा और आंध्र प्रदेश के मुख्य सचिवों के साथ सुरक्षा बलों के प्रमुखों के साथ आयोग बातचीत करने जा रहा है. हालांकि पहले चरण के लिए मतदान शुरू होने के ठीक पहले यह नक्सली हमला सुरक्षा के चाक चौबंद इंतजामों के दावों पर सवालिया निशान तो लगाता ही है.
हमले के बाद चुनाव आयोग ने मंगलवार को कहा था कि छत्तीसगढ़ में शुरुआती 3 चरणों के मतदान अपने तय कार्यक्रम के अनुसार होंगे. आयोग ने कहा है कि दंतेवाड़ा जिले में मतदान पहले और दूसरे चरण के दौरान 11 अप्रैल और 18 अप्रैल को होने वाले हैं.
पहले भी हुए नक्सली हमले
इससे पहले नक्सलियों ने मंगलवार को दंतेवाड़ा में श्यामगिरी मेले से चुनाव प्रचार कर लौट रहे बीजेपी विधायक भीमा मंडावी के काफिले की एक बुलेटप्रूफ कार को आईईडी से उड़ा दिया. हमले में कार के परखच्चे उड़ गए. इस नक्सली हमले में विधायक भीमा समेत 5 की मौत हो गई.
ऐसा पहली बार नहीं है कि नक्सलियों ने किसी जनप्रतिनिधि को निशाना बनाया है. नक्सली पहले भी कई जनप्रतिनिधियों को निशाना बना चुके हैं. भीमा मंडावी पर जनवरी 2012 में भी नक्सलियों ने निशाना बनाया था. हालांकि वह उस हमले में बच गए थे, लेकिन सुरक्षा में तैनात एक सुरक्षाकर्मी घायल हो गया था.
इससे पहले मई 2013 में जगदलपुर की झीरमघाटी में हुए नक्सली हमले में कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, उनके पुत्र दिनेश पटेल, पूर्व नेता प्रतिपक्ष महेंद्र कर्मा और विद्याचरण शुक्ल समेत 31 लोग मारे गए थे.
ऐसी ही एक घटना 2008 में घटी जब राज्य में विधानसभा चुनाव के दौरान दंतेवाड़ा में ही चुनाव प्रचार करने गए रमेश राठौर समेत 2 बीजेपी नेताओं की नक्सलियों ने हत्या कर दी थी. 2009 आम चुनाव के दौरान नक्सलियों ने राज्य के तत्कालीन वनमंत्री विक्रम उसेंडी की सुरक्षा में लगी पुलिस पार्टी पर हमला किया था जिसमें 2 जवान मारे गए थे. हालांकि इस हमले में मंत्री बच गए थे.
पिछले साल दिसबंर में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान भी नक्सलियों ने नेताओं को अपना निशाना बनाया था. नक्सलियों ने भोपालपटनम में जिला पंचायत सदस्य और बीजेपी नेता जगदीश कोंडरा की हत्या कर दी थी.
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