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छत्तीसगढ़: बीजापुर के कई जिलों में बाढ़ जैसे हालात, टापू में तब्दील हुए गांव

लगातार एक सप्ताह से हो रही बारिश बीजापुर वासियों के लिए आफत बनी हुई है. रविवार की रात मूसलाधार बारिश से भोपालपट्नम नेशनल हाईवे पर मोदकपाल पुल डूब गया. नदी का जलस्तर उंचा होने से पानी न सिर्फ पुल के उपर बह रहा है बल्कि मोदकपाल थाने के भीतर भी पानी घुस आया.

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बाढ़
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स्टोरी हाइलाइट्स
  • कई इलाकों का जिला मुख्यालय से संपर्क टूटा
  • बीजापुरवासियों के लिए आफत बनी भारी बारिश

छत्तीसगढ़ के बीजापुर में लगातार हो रही बारिश अब मुसीबत का सबब बनती दिख रही है. रविवार की दरम्यानी रात अंचल में हुई मूसलाधार बारिश के चलते दर्जनों गांवों के हालात टापू जैसे बन गए हैं. बारिश के चलते इंद्रावती, चिंतावागु, मिनगाचल नदियां उफान पर हैं तो वहीं नदियों में आई बाढ़ के कारण बीजापुर-गीदम, बीजापुर-भोपालपट्नम, बीजापुर-गंगालूर, बीजापुर-कुटरू मार्ग पर कई स्थानों पर पुल डूब जाने से इन इलाकों का जिला मुख्यालय से संपर्क टूट चुका है.

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लगातार एक सप्ताह से हो रही बारिश बीजापुर वासियों के लिए आफत बनी हुई है. रविवार की रात मूसलाधार बारिश से भोपालपट्नम नेशनल हाईवे पर मोदकपाल पुल डूब गया. नदी का जलस्तर उंचा होने से पानी न सिर्फ पुल के उपर बह रहा है बल्कि मोदकपाल थाने के भीतर भी पानी घुस आया. अचानक आई बाढ़ में जवान संभल पाते कि इससे पहले थाना जलमग्न हो गया. जवानों ने पूरी रात छत पर बिताई मगर राशन को सुरक्षित ठिकाने पर ले जाने में असफल रहे. 

ठीक ऐसे ही हालात मिनगाचल में देखने को मिले जहां मिनगाचल नदी किनारे स्थित कैंप भी बाढ़ की जद में आ गया. किसी तरह जवान सुरक्षित ठिकाने तक पहुंचे. मिनगाचल पर बने पुल के एप्रोच पर पानी आ जाने से बीजापुर-गीदम नेशनल हाईवे पर आवागमन ठप हो गया. इधर मिनगाचल नदी में आई बाढ़ से इलाके में गांवों के हालत बदतर हो गए. कई गांव टापू में बदल गए. लोग मकानों की छत पर रात बीताने को मजबूर हुए. प्रशासन की ओर से इन्हें रेस्क्यू करने की कोशिश की गई मगर बाढ़ के चलते रेस्क्यू टीम को मौके पर पहुंचने में काफी दिक्कतें पेश आईं.

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बारिश के चलते बीजापुर-कुटरू मार्ग पर कई पेड़ धराशायी हो गए. इलाके के अधिकतर गांव बाढ़ की जद में हैं. यहां से जो तस्वीरें आईं हैं वो चिंताजनक हैं. यहां कुछ लोगों ने पेड़ों पर चढ़कर अपनी जान बचाई. हालात जिला मुख्यालय से सटे गांवों में भी बिगड़े हुए हैं. कोकड़ापारा में घर के बाहर खड़ी स्कार्पियों को को अचानक आई बाढ़ बहा ले गई. वाहन को सुरक्षित निकालने के लिए वाहन मालिकों को काफी मशक्कत करनी पड़ी. इधर चिंतावागु नदी उफान पर होने से भोपालपट्नम-ताड़लागुड़ा-हैदराबाद रूट पूरी तरह से बंद हो गया. वही भोपालपट्नम में इंद्रावती का जलस्तर खतरे के निशान पर भी पहुंच गया है. 

दूसरी ओर बीजापुर-गंगालूर मार्ग पर पोंजेर और चेरपाल रपटा डूबा हुआ है. नतीजतन इस तरफ बसे दर्जनों गांव टापू में तब्दील हो गए हैं. लोगों की बेबसी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बिजली और नेटवर्क ठप होने से प्रशासन को अपनी परेशानी बताने में सक्षम नहीं हैं. यहां चेरपाल, चेरकंटी, कोटेर, गंगालूर समेत दो दर्जन से ज्यादा गांवों का संपर्क मुख्यालय से टूटा हुआ है. यही पोंजेर स्थित सीआरपीएफ कैंप के जवान भी बाढ़ से जूझते दिखे. आधी रात नाले का पानी कैंप में चढ़ जाने से सिक्योरिटी लाइट कट गई. जवानों के शौचालयों में पानी भर गया. पूरी रात जवान संघर्ष करते रहे. इधर बीजापुर-पट्ट्नम मार्ग पर महादेव घाट में लैंड स्लाइड की वजह से मार्ग पर कुछ घंटों तक आवागमन बाधित रहा. बाढ़ के चलते सुबह से अधिकतर इलाकों में बिजली आपूर्ति ठप होने के साथ मोबाइल, इंटरनेट कनेक्टिविटी भी प्रभावित है.

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