प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत सिर छिपाने के लिए लोगों को एक अदद आशियाने की तलाश है. कई गरीबों तक यह योजना पहुंची भी नहीं है. वहीं राजनीतिक पहुंच के जरिये कई दबंग, इसका गलत फायदा उठा रहे हैं. ऐसा ही एक मामला छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में देखने को आया है.
यहां एक दबंग परिवार ने अपने घर की पहली मंजिल पर प्रधानमंत्री आवास बनाया है. अफसरों ने इसकी मंजूरी भी दी है. दूसरी ओर गांव में जरूरतमंद सैकड़ों ऐसे घर परिवार हैं, जिनके लिए प्रधानमंत्री आवास दूर की कौड़ी साबित हो रहा है.
बालोद जिले के कलंकपुर गांव में एक पक्के घर की पहली मंजिल पर बन रहे इस घर को देखकर लोग हैरत में हैं. यह घर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत निर्मित हो रहा है. इसके निर्माण से पहले ही तमाम औपचारिकताएं पूरी कर दी गयी है. सरकारी रिकार्ड में खानापूर्ति करने के बाद अफसरों ने इस पक्के घर के ऊपर प्रधानमंत्री आवास बनाने की स्वीकृति दे दी.
यह घर गांव के प्रभावशील शख्स का है. घर के लोगों का सत्ताधारी दल से करीब का नाता है, लिहाजा अफसर मेहरबान हैं. दूसरी ओर इस गांव में 265 परिवार ऐसे हैं, जो बेघर हैं. 147 परिवार ऐसे हैं, जिनके घर मिट्टी से बने हैं. ये सभी प्रधानमंत्री आवास पाने के लिए महीनों से जोर लगा रहे हैं. उनको अफसरों ने कह दिया है कि कोटा खत्म हो चुका है. नए वित्तीय वर्ष में ही उनके लिए कुछ किया जा सकेगा.
स्थानीय लोगों का आरोप है कि प्रधानमंत्री आवास योजना में हितग्राहियों का चयन उनकी दयनीय हालत को देख कर नहीं हो रहा है, बल्कि उनके चेहरे को देख कर हो रहा है. लोगों की शिकायत के बाद प्रशासन ने जांच का भरोसा दिलाया है.
छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत हजारों आवेदन प्रत्येक जिलों में पेंडिंग पड़े हैं. आवेदनों की छटाई में उन्हीं लोगों को प्राथमिकता मिल पाती है, जिनके पॉलिटिकल कनेक्शन हैं. आम इंसान के लिए प्रधानमंत्री आवास टेढ़ी खीर साबित हो रहे हैं.