छत्तीसगढ़ पुलिस ने एक निजी अस्पताल में 29 वर्षीय युवक की मौत मामले में शनिवार को सात साल बाद कथित लापरवाही के आरोप में चार वरिष्ठ डॉक्टरों को गिरफ्तार किया है. हालांकि बाद में उन्हें निजी मुचलके पर जमानत मिल गई.
शनिवार को सरकंडा पुलिस थाने के एक अधिकारी ने बताया कि डॉक्टर देवेन्द्र सिंह, राजीव लोचन भांजा, मनोज राय और सुनील केडिया को शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन बाद में उन्हें निजी मुचलके पर रिहा कर दिया गया.
गलत इलाज करने का है आरोप
गुरवीन छाबड़ा उर्फ गोल्डी की 26 दिसंबर 2016 को यहां अपोलो अस्पताल में मौत हो गई थी. अस्पताल द्वारा पुलिस को सौंपे गए नोट में दावा किया गया कि सेल्फोस पॉइजगिंग के कारण युवक की मौत हुई है. हालांकि, गुरवीन के रिश्तेदारों ने अस्पताल प्रबंधन, डॉक्टरों पर लापरवाही और गलत इलाज के कारण उसकी मौत होने का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई थी. मृतक के पिता परमजीत सिंह छाबड़ा ने डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई और लाइसेंस रद्द करने की मांग की थी.
पुलिस अधिकारी ने कहा कि छत्तीसगढ़ इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (सीआईएमएस), जहां शव का पोस्टमार्टम किया गया था. साथ ही मेडिकल बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में इलाज के दौरान शुरुआत में लापरवाही की ओर इशारा किया है.
मेडिकोलीगल की रिपोर्ट के बाद दर्ज हुई FIR
इस साल 27 सितंबर को पुलिस को 'मेडिकोलीगल इंस्टीट्यूट होम (पुलिस) विभाग, मेडिकोलीगल विशेषज्ञ और मेडिकोलीगल सलाहकार' से एक रिपोर्ट मिली, जिसमें डॉक्टरों और अस्पताल प्रबंधन की ओर से लापरवाही की बात सामने आई थी. इसके बाद पुलिस ने IPC की धारा 304 (ए) , 201 और 34 के तहत FIR दर्ज की. अधिकारी ने बताया कि मामले की अभी आगे की जांच जारी है.