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छत्तीसगढ़: IAS अधिकारियों पर लगा NGO के नाम पर फर्जीवाड़े का आरोप

याचिकाकर्ता कुंदन सिंह ठाकुर ने स्वास्थ्य विभाग के एक मामले में एनजीओ की भूमिका को लेकर सवालियां निशान लगाते हुए दस्तावेज भी अदालत को सौंपे हैं.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

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छत्तीसगढ़ में कार्यरत कई आईएएस अधिकारियों पर एनजीओ बनाकर खुद का कारोबार करने का आरोप लगा है. ये आरोप एक आरटीआई कार्यकर्ता ने लगाया है. इस आरटीआई कार्यकर्ता ने एक याचिका हाईकोर्ट में दायर कर मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है.

याचिका में कहा गया है कि कई रिटायर्ड और वर्तमान में कार्यरत सीनियर आईएएस अफसरों पर फर्जी एनजीओ बनाकर करोड़ों रुपये का फर्जीवाड़ा कर रहे हैं. इस याचिका पर हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को शपथ पत्र के साथ जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं.    

याचिकाकर्ता कुंदन सिंह ठाकुर ने स्वास्थ्य विभाग के एक मामले में एनजीओ की भूमिका को लेकर सवालिया निशान लगाते हुए दस्तावेज भी अदालत को सौंपे हैं.  रायपुर के खुशालपुर में रहने वाले कुंदन सिंह ठाकुर ने अपने अधिवक्ता देवर्षि ठाकुर के जरिये हाईकोर्ट में क्रिमिनल रिट पिटीशन दायर की है.

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इसमें आरोप लगाया गया है कि राज्य के कुछ रिटायर्ड और वर्तमान में कार्यरत आईएएस अधिकारियों ने 2004 में एक संस्था बनाई. इस एनजीओ का नाम राज्य स्रोत निशक्तजन रखा गया. यह बताया गया है कि इस संस्थान का दफ्तर रायपुर से सटे माना इलाके में है. यहां 16 कर्मचारियों की नियुक्ति और निशक्तों के लिए अस्पताल के संचालित होने की जानकारी भी सरकारी दस्तावेजों में दी गई, लेकिन हकीकत में ना तो कोई अस्पताल संचालित हुआ और ना ही कर्मचारियों की तैनाती की गई. जबकि संस्था के नाम पर कई खर्चों को वहन करते हुए सरकारी विभागों से हर महीने सैलरी और दूसरे कामों के लिए हर महीने लाखों रुपये निकाले. यह भी कहा गया है कि 2004 में बनाई गई संस्था का कभी ऑडिट भी नहीं हुआ है.

याचिका में कहा गया है कि बड़े गोपनीय ढंग से सरकारी रकम आईएएस अधिकारियों के करीबी लोगों के खाते में कई सालों से जमा हो रही है, उसका ब्यौरा भी दिया गया है. इसमें से निकाली गई राशि एसबीआई के मोतीबाग ब्रांच के खातों क्रमांक 63006155111, 63000051762 व 3164755404 और एसबीआई के ही नया रायपुर ब्रांच के खाता क्रमांक 30790835402 में जमा की जाती रही.

2015-16 में बैंक खातों से आधार लिंक कराना जरूरी होने के बाद भी इसके बगैर खातों में राशि जमा हुई. 2014-15 में टीए-डीए के नाम पर ही 11 लाख रुपये का भुगतान किया गया. इस मामले की प्रारंभिक सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार के चीफ सेक्रेटरी को हलफनामा के साथ अपना जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं. इसके लिए दो हप्ते का वक्त भी दिया गया है. उधर हाईकोर्ट के निर्देश के बाद सरकार में खलबली मची है. स्वास्थ्य विभाग और समाज कल्याण विभाग के अफसरों को मामले की जांच का जिम्मा सौंपा गया है.

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