राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद बुधवार को अपने दो दिवसीय प्रवास पर बस्तर पहुंचे. बस्तर एयरपोर्ट पर उन्हें छत्तीसगढ़ की पारम्परिक संस्कृति और धरोहर उस वक्त देखने को मिली जब वो विमान से उतर कर मेहमान कक्ष की ओर रवाना हुए. आदिवासियों ने उनका ऐसा स्वागत सत्कार किया कि राष्ट्रपति और उनकी पत्नी गदगद हो गए. अपनी पारम्परिक वेशभूषा के साथ आदिवासियों ने उनकी अगुवाई की.
मुख्यमंत्री रमन सिंह और उनके मंत्रिमंडल के तमाम सदस्यों ने भी राष्ट्रपति का गर्मजोशी के साथ स्वागत किया. लेकिन एयरपोर्ट के भीतर और बाहर राष्ट्रपति की सुरक्षा में मौजूद अफसर और राज्य के अधिकारी एक समारोह स्थल में मौजूद मधुमक्खियों से भयभीत नजर आए.
दरअसल राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को 26 जुलाई गुरुवार को बस्तर में एक सरकारी मेडिकल कॉलेज का उद्घाटन करना है. स्वर्गीय बलिराम कश्यप की याद में नवनिर्मित इस मेडिकल कॉलेज के कार्यक्रम स्थल पर बने डोम में मधुमक्खियों के कई छत्ते लगे हैं. राष्ट्रपति को जिस स्थान पर बैठना है, वहां से लेकर उसके चारों ओर मधुमक्खियों के चार बड़े-बड़े छत्ते हैं. इन छत्तों में मधुमक्खियों की संख्या भी हजारों में है.
ऐसे में राष्ट्रपति की सुरक्षा व्यवस्था में तैनात अधिकारियों को मधुमक्खियों के हमले का डर सता रहा है. राष्ट्रपति की सुरक्षा में तैनात दस्ते ने छत्तीसगढ़ पुलिस के कर्मियों के साथ मिलकर इन छत्तों को हटाने का भरसक प्रयास किया. लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिल पाई.
इसके बाद उन्होंने बाकायदा पत्र लिखकर राज्य सरकार के वन विभाग से इन छत्तों को हटाने की गुहार लगाई. वन विभाग के कर्मचारियों ने मधुमक्खियों के छत्तो को हटाने के लिए अपने कुछ चुनिंदा कर्मियों को मैदान में उतारा. लेकिन 50 फुट से ज्यादा ऊंचाई पर लगे इन छत्तों को हटाने में वन विभाग की भी सांसें फूल गईं. कई कोशिशों के बावजूद वन विभाग का कोई भी कर्मचारी डोम के ऊपरी हिस्से तक नहीं पहुंच पाया. बस्तर में मधुमक्खी पालन का काम बड़े पैमाने पर होता है.
यहां मधुमक्खियों के हमले में जख्मी होने और कई बार तो उसके विषैले डंक के शिकार व्यक्ति की मौत की घटनाएं गाहे-बगाहे होती रहती हैं. लिहाजा बगैर किसी पुख्ता इंतजाम के मधुमक्खी के छत्ते में लोग हाथ डालने में कतरा रहे हैं.
फिलहाल नई रणनीति के तहत मधुमक्खियों के छत्तों को हटाने का प्रयास किया जा रहा है. एक्पर्ट ने राय दी है कि मधुमक्खियों के छत्तों को रात के समय ही हटाया जाए. चूंकि दिन में अपने छत्ते पर हमला होते देख मधुमक्खी भी हमलावर हो सकती हैं. जबकि रात में अंधेरा होते ही आसानी से छत्तों को हटाया जा सकेगा. फिलहाल फायर ब्रिगेड की सीढ़ियों का इस्तेमाल कर मधुमक्खियों के छत्तों को हटाने की तैयारी जोरों पर है.
उधर राष्ट्रपति का जन्मदिन भी यादगार बनाने के लिए सरकारी अमला जोर शोर से जुटा हुआ है. रामनाथ कोविंद ने बतौर राष्ट्रपति अपना पहला जन्मदिन आदिवासियों के बीच मनाने का ऐलान किया था. इसी के चलते उन्होंने दो दिनों के लिए छत्तीसगढ़ प्रवास का कार्यक्रम बनाया है. राष्ट्रपति यहां आदिवासी विकास की कई योजनाओ का शुभारम्भ करेंगे.