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छत्तीसगढ़ः किंगमेकर क्षेत्रीय दलों को साधने में जुटे BJP और कांग्रेस

छत्तीसगढ़ में अभी तक बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला होता रहा है, लेकिन इस बार बीएसपी, जनता दल यु, शरद यादव की जनता दल, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी और छत्तीसगढ़ आदिवासी महासभा के मैदान में कूदने से कांग्रेस और बीजेपी को अपने समीकरण पूरी तरह से बिगड़ते नजर आ रहे हैं.

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छत्तीसगढ़ में क्षेत्रीय दलों को साधने में जुटे BJP और कांग्रेस
छत्तीसगढ़ में क्षेत्रीय दलों को साधने में जुटे BJP और कांग्रेस

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छत्तीसगढ़ में क्षेत्रीय दलों ने बीजेपी और कांग्रेस की चुनावी जंग को चुनौतीपूर्ण बना दिया है. दोनों ही पार्टियां क्षेत्रीय दलों को साधने में जुटी हुई हैं. राज्य में इसी साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इसके लिए चार माह से भी कम का वक्त बचा है.

दूसरी ओर क्षेत्रीय पार्टियां बीजेपी और कांग्रेस दोनों के ही वोट बैंक में सेंधमारी करने में जुटी हुई हैं. लिहाजा अपनी हार जीत के समीकरणों को ध्यान में रखकर बीजेपी और कांग्रेस जैसे बड़े दल क्षेत्रीय दलों के सामने नतमस्तक नजर आ रहे हैं.

छत्तीसगढ़ में परम्परागत रूप से बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधे मुकाबला होता रहा है, लेकिन इस बार बीएसपी, जनता दल यु, शरद यादव की जनता दल, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी और छत्तीसगढ़ आदिवासी महासभा के मैदान में कूदने से कांग्रेस और बीजेपी को अपने समीकरण पूरी तरह से बिगड़ते नजर आ रहे हैं.

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क्षेत्रीय पार्टियां बीजेपी और कांग्रेस दोनों के वोट बैंक पर सेंधमारी करने में जुटी हुई हैं. इनसे दोनों बड़े राष्ट्रीय दलों को खतरा नजर आ रहा है. पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच मात्र एक फीसदी से भी कम का फासला रहा है. बीजेपी को जहां कुल वोटिंग का 41 फीसदी वोट मिला था, वहीं कांग्रेस को 40.03 फीसदी वोट मिले थे.

1% वोट कम मिलने पर सत्ता से हाथ धो बैठी थी कांग्रेस

इस तरह महज एक फीसदी वोट कम मिलने की वजह से कांग्रेस सत्ता से हाथ धो बैठी थी, जबकि शेष बीस फीसदी वोट बीएसपी समेत अन्य दलों के खातों में गए थे. लिहाजा इस बार बीजेपी को धूल चटाने के लिए कांग्रेस उसके तमाम विरोधियों को एकजुट करने में जुटी हुई है, ताकि मत विभाजन से बचा जा सके. इसके लिए कांग्रेस ने रणनीतिक तौर पर बीएसपी से हाथ मिलाने का रास्ता निकाला है.

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल के मुताबिक बीएसपी से उनकी बातचीत चल रही है. बघेल की दलील है कि बीजेपी के विरोधी दलों को कांग्रेस के साथ आना चाहिए, तभी उसे भारी मतों से हराया जा सकता है. हालांकि वे मानते हैं कि कांग्रेस प्रदेश में अच्छा कर रही है, लेकिन मत विभाजन से कुछ सीटों पर समीकरण बिगड़ सकते हैं.

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जोगी बोले- अगर BSP साथ आई तो BJP-कांग्रेस की होगी हार

वहीं, जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अजित जोगी की दलील है कि अगर बीएसपी उनकी पार्टी के साथ आएगी, तो बीजेपी और कांग्रेस दोनों को मुंह की खानी पड़ेगी.

इस गठबंधन से गैर बीजेपी और गैर कांग्रेस सरकार पहली बार सत्ता में आ सकती है. उधर, आप पार्टी भी बीजेपी और कांग्रेस को सबक सिखाने में आमादा है. पहली लिस्ट में उसने दो दर्जन से ज्यादा उम्मीदवारों की घोषणा की है. बाकी उम्मीदवारों के नाम अगस्त माह में घोषित किए जाएंगे.

उम्मीदवारों की सूची होने लगी जारी

अजित जोगी की पार्टी भी इस मामले में पीछे नहीं है. उसने भी लगभग तीन दर्जन उम्मीदवारों की घोषणा अभी से कर दी है. कांग्रेस 15 अगस्त से पहले कम से कम 60 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी करने जा रही है. वहीं, आदिवासियों के वोट बैंक के खिसकने के अंदेशे से बीजेपी सकते में है.

दरअसल राज्य में पहली बार आदिवासियों की सामाजिक संस्था 'सर्व आदिवासी समाज' ने 49 सीटों पर आदिवासी उम्मीदवारों को उतारने का फैसला किया है.

आदिवासियों के आरक्षण पर फंसा है पेंचआदिवासी समाज जनसंख्या के आधार पर अपने लिए आरक्षण में 35 फीसदी तक की बढ़ोतरी की मांग कर रहा है. उसकी दलील है कि वर्ष 2011 की जनगणना में आदिवासियों की जनसंख्या में 10 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है.

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लिहाजा उन्हें वर्तमान में मिल रहे 32 फीसदी आरक्षण को बढ़ाकर 35 फीसदी किया जाए. आदिवासियों की इस मांग को बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने ही नजर अंदाज किया है. लिहाजा अब आदिवासी भी दोनों ही पार्टियों को सबक सिखाने के लिए चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी में हैं. इसके लिए आदिवासी नेता गांव-गांव में सभा कर रहे हैं.

सभी सीटों पर दम-खम दिखाएगी AAP

उधर, आम आदमी पार्टी भी राज्य की सभी 90 विधानसभा सीटों पर अपना दम खम दिखाने में जुटी हुई है. सभी विधानसभा सीटों में उसने बीजेपी और कांग्रेस के खिलाफ मोर्चाबंदी की है. कांग्रेस के अरमानो पर पानी फेरने के लिए राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अजित जोगी जुटे हुए हैं. उनकी जोगी कांग्रेस ने बीएसपी सुप्रीमो मायावती को चुनावी गठबंधन के लिए प्रस्ताव भेजा है. हालांकि गठबंधन के लिए बीएसपी ने अपने कोई कार्ड ओपन नहीं किए हैं.

विरोधियों पर नजर रख रहे हैं रमन सिंह

राज्य के मुख्यमंत्री रमन सिंह भी कांग्रेस समेत बीजेपी के दूसरे विरोधी दलों की हर एक गतिविधियों पर निगाह रखे हुए है. आदिवासियों, किसानों, दलितों और पिछड़ों को लुभाने के लिए उन्होंने कई सरकारी योजनाओ की समीक्षा शुरू कर दी है, ताकि इन वर्गों को सरकारी योजनाओं का अधिक से अधिक फायदा दिलाया जा सके. मुख्यमंत्री रमन सिंह के मुताबिक वे चौथी बार भी सत्ता में काबिज होंगे.

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इसके लिए वो मिशन 65 को साधने में जुटे हैं. रमन सिंह को उम्मीद है कि राज्य की कुल 90 विधानसभा सीटों में से 65 सीटों पर बीजेपी फिर चुनाव जीतेगी.

छत्तीसगढ़ में राज्य की सभी 90 विधानसभा सीटों पर परम्परागत रूप से बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही सीधा मुकाबला होता आया है. हालांकि आधा दर्जन विधानसभा सीटों पर बीएसपी और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी अपना प्रभाव डालती रही हैं. इन इलाकों में इस बार उनकी ठोस तैयारियों से बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों को कड़ी चुनौती मिलने वाली है.

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