scorecardresearch
 

छत्तीसगढ़ के स्कूली किताबों में महिलाओं के लाइफस्टाइल पर आपत्तिजनक बातें

इस मामले के तूल पकड़ने के बाद छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग ने शिक्षा विभाग और राज्य शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद को आड़े हाथों लेते हुए नोटिस जारी किया. किताब में छपे इस चैप्टर पर महिलाओं के प्रति जो बातें छापी गई हैं, उससे महिलाएं काफी भड़की हुई है.

Advertisement
X
छत्तीसगढ़ के स्कूलों में महिलाओं के लाइफस्टाइल पर आपत्तिजनक बातें
छत्तीसगढ़ के स्कूलों में महिलाओं के लाइफस्टाइल पर आपत्तिजनक बातें

Advertisement

छत्तीसगढ़ में एक बार फिर राज्य का शिक्षा विभाग विवादों के घेरे में आ गया है. इस बार मामला नौवीं कक्षा के छात्र-छात्राओं को महिलाओं की लाइफस्टाइल संबंधी विवादित जानकारी देने का है.

इस मामले के तूल पकड़ने के बाद छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग ने शिक्षा विभाग और राज्य शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद को आड़े हाथों लेते हुए नोटिस जारी किया. किताब में छपे इस चैप्टर पर महिलाओं के प्रति जो बातें छापी गई हैं, उससे महिलाएं काफी भड़की हुई हैं.

छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष हर्षिता पांडे ने इस चैप्टर को लेकर अपनी कड़ी आपत्ति भी जाहिर की है. पूरा मामला कुछ ऐसा है कि नौवीं कक्षा की सामाजिक विज्ञान की पुस्तक में यह बताया गया है कि महिलाएं पड़ोसियों से एक घंटे बात करती हैं, टीवी देखती हैं, एक घंटे तक भोजन करती हैं. इसे किताब के चैप्टर नम्बर 15 में छापा गया है और इसे "एक कामकाजी महिला की दिनचर्या" शीर्षक भी दिया गया है. छायाचित्र के जरिये विद्यार्थियों को महिलाओं की आर्थिक क्रियाओं की भी जानकारी इस चैप्टर में दी गई है.

Advertisement

मौजूदा दौर में देश की आधी आबादी महिलाओं की हैं. सरकारी और गैरसरकारी संस्थानों में कामकाजी महिलाओं की संख्या दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही है. ऐसे में महिलाओं को लेकर स्कूली बच्चों को दी जा रही इस जानकारी को महिलाओं के मान मर्यादा को गलत तरीके से पेश करने से जोड़कर देखा जा रहा है.

बता दें कि आयोग में शिकायत दर्ज कराकर महिलाओं ने इस चैप्टर को पाठ्यक्रम से तत्काल हटाने की मांग की है. वहीं वुमन मोटिवेटर शिल्पा शर्मा ने कहा कि इस तरह से महिलाओं की दिन दिनचर्या को प्रस्तुत करना उचित नहीं है. उनका कहना है की मौजूदा दौर में हम घरेलू काम-काजी महिलाओं को टीवी देखने और पड़ोसि‍यों से बात करने वाली महिला के रूप में नहीं देख सकते हैं.

इससे पहले भी छत्तीसगढ़ में साल भर पहले SCERT की किताब में बेरोज़गारी बढ़ने का कारण महिलाओं को बताया गया था. इस मामले में भी खूब विवाद हुआ था. हालांकि बाद में खेद जाहिर करते हुए शिक्षा विभाग ने यह टिप्पणी वापस ले ली थी.

फिलहाल सामाजिक विज्ञान की पुस्तक में महिलाओं को लेकर दिया जा रहा यह असामाजिक ज्ञान चर्चा का विषय बना हुआ है. शिक्षा विभाग द्वारा इस चैप्टर को मुहर मिल चुकी है, इसलिए शिक्षक भी इसे पढ़ा रहे हैं. यह बात और है कि कई शिक्षक महिलाओं की इस दिनचर्या से सहमत नहीं हैं. लेकिन यह उनका व्यक्तिगत विचार है.

Advertisement

Advertisement
Advertisement