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छत्तीसगढ़ में छात्रों के भविष्य से खिलवाड़, आंख मूंदकर हो रही कॉपियों की जांच

छत्तीसगढ़ में शिक्षकों ने ज्यादा पैसा कमाने के चक्कर में आंख मूंद कर कॉपियों का मूल्यांकन किया. इन शिक्षकों ने जितनी ज्यादा कॉपियां जांची, उतनी अधिक उनकी कमाई हो गयी, लेकिन दूसरी ओर हजारों बच्चों का भविष्य दांव पर लग गया.

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हजारों छात्रों के भविष्य से खिलवाड़
हजारों छात्रों के भविष्य से खिलवाड़

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छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल के 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में बड़े पैमाने पर धांधली के मामले सामने आए हैं. शिक्षकों ने बगैर उत्तर पुस्तिका देखे छात्रों को अपने मन से अंक दे दिए. दरअसल, शिक्षकों ने ज्यादा पैसा कमाने के चक्कर में आंख मूंद कर कॉपियों का मूल्यांकन किया. इन शिक्षकों ने जितनी ज्यादा कॉपियां जांची, उतनी अधिक उनकी कमाई हो गयी, लेकिन दूसरी ओर हजारों बच्चों का भविष्य दांव पर लग गया.

आलम यह रहा है कि किसी को अच्छा खासा पर्चा हल होने के बाद औसतन नंबर मिले, तो कोई कुछ भी लिखे अच्छे अंक पा गया. जो बच्चे फेल हुए या फिर उन्होंने पुनर्मूल्यांकन कराया, तो उन्हें उस विषय में 50 से ज्यादा अंक प्राप्त हुए. इन बच्चों और इनके परिजनों ने राज्य के माध्यमिक शिक्षा मंडल पर उंगली उठाई है. माध्यमिक शिक्षा मंडल ने अपने को घिरता हुआ देख 295 शिक्षकों को ब्लैक लिस्टेड करते दिया है. साथ ही इन शिक्षकों को तीन साल तक के मूल्यांकन कार्य से बाहर कर दिया है.

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75 और 100 अंकों वाले विषयों में 50 अंक का बढ़ना बेहद मायने रखता है. इन शिक्षकों पर कार्यवाही करने से पहले माध्यमिक शिक्षा मंडल ने उत्तर पुस्तिकाओं की जांच दो से तीन बार अलग-अलग शिक्षकों से करवाई. इसके बाद मुख्य परीक्षा मूल्यांकन में लापरवाही बरतने वाले शिक्षकों के खिलाफ कार्यवाही का फैसला लिया गया, लेकिन अब सवाल यह है कि इन छात्रों का क्या होगा, जिन्होंने औसत अंक हासिल करने के बाद भी पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन नहीं किया? क्या माध्यमिक शिक्षा मंडल उन छात्रों को बोनस अंक देगा या फिर उनकी कॉपियों के भी पुनर्मूल्यांकन की सिफारिश करेगा, ताकि नए अंको के साथ उनकी नई मार्कशीट जारी हो.

अब शिक्षकों की लापरवाही सामने आने के बाद सैकड़ों छात्रों और उनके अभिभावकों ने न्याय की गुहार लगाई है. जिन विषयों में लापरवाही बरती गयी, उनमें गणित, विज्ञान, अंग्रेजी, सामाजिक विज्ञान और संस्कृत जैसे विषय शामिल हैं. 10वीं बोर्ड पास करने के बाद 11वीं में दाखिला लेते समय छात्रों के अर्जित अंकों के आधार पर ही उन्हें विशेष पाठ्यक्रम में दाखिला मिलता है. ऐसा ही उन छात्रों के साथ होता है, जो 12वीं की परीक्षा पास करने के बाद कॉलेज में दाखिला लेते हैं.

इस तरह 10वीं और 12वीं की पढ़ाई व अंक सूची छात्रों का भविष्य तय करती है. फिलहाल मामले के तूल पकड़ने के साथ ही छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल ने वो ब्लैक लिस्टेड शिक्षकों की वेतन वृद्धि रोकने की सिफारिश भी करेगा.

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