छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में शौचालय निर्माण की प्रक्रिया ना केवल धीमी है बल्कि कई ऐसे इलाके हैं जहां स्वच्छ भारत अभियान का आज तक आगाज ही नहीं हो सका है और यही कारण है कि राज्य के सैकड़ों गांवों को अभी भी खुले में शौचमुक्त (ओडीएफ) क्षेत्र नहीं घोषित किया जा सका है.
ये इलाके धुर नक्सल प्रभावित तो हैं ही, साथ ही घने जंगलों में स्थित हैं. यहां सरकारी अफसरों की आवाजाही लगभग शून्य है.
छत्तीसगढ़ सरकार ने पहली बार स्वीकार भी किया कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत नक्सल प्रभावित इलाके अभी भी पूरी तरह से खुले में शौचमुक्त (ओडीएफ) नहीं हो सके हैं. राज्य के ग्रामीण विकास और पंचायत विभाग ने इसके लिए नक्सलियों को जिम्मेदार ठहराया है.
छत्तीसगढ़ के घोर नक्सल प्रभावित इलाके की 246 ग्राम पंचायत और 917 गांवों को ओडीएफ होना शेष है. ये सभी क्षेत्र बस्तर के इलाके में ही पड़ता है. ज्यादातर ऐसी पंचायतें हैं जो छत्तीसगढ़ से सटी तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र और ओड़िशा की सरहद पर है. इन इलाकों में नक्सलियों की समानांतर सरकार है.
ऐसे इलाकों में शौचालय निर्माण कार्यों के लिए राज्य एवं जिला स्तर पर व्यापक रणनीति तैयार की गई है, लेकिन उसका क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है. पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग का दावा है कि प्रदेश में कुल 33 लाख 65 हजार 996 शौचालयों का निर्माण कर लिया गया है. इसके लिए ग्रामीणों को 2 हजार 354 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि भी वितरित की जा चुकी है. उसके मुताबिक इन इलाकों को छोड़कर पूरा प्रदेश खुले में शौचमुक्त (ओडीएफ) हो चुका है.
राज्य के सभी ओडीएफ गांवों में निर्मित शौचालयों का सतत उपयोग एवं स्थायित्व बनाए रखने के लिए पंचायत विभाग का दावा है कि उसने काफी कुछ काम किया है. इसके तहत राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान का गठन कर स्व-सहायता समूह के जरिये महिलाओं के सहयोग से शौचालय के नियमित उपयोग और उसके रखरखाव के लिए ग्रामीणों को प्रेरित किया जा रहा है.
ग्रामीण स्तर पर स्वच्छता के लिए लोगों में जागरुकता कार्यक्रम चलाए जाने की रूपरेखा भी तैयार की गई है. स्वच्छ भारत मिशन के अधिकारियों ने बताया कि शौचालय स्थायित्व के लिए 250 परिवार पर एक स्व-सहायता समूह को स्वच्छग्राही के रूप में चयन किया जाएगा.
इन समूह की महिलाओं को प्रशिक्षण एवं प्रचार-प्रसार सामग्री प्रदान की जाएगी. प्रचार-प्रसार सामग्री के जरिए भी स्व-सहायता समूह भी घर-घर संपर्क कर लोगों को जागरूक करेंगे.
दूसरी ओर, घोर नक्सल प्रभावित इलाकों में शौचालय निर्माण कैसे सुनिश्चित होगा? आखिर इन इलाकों की आबादी किस तरह से स्वच्छ भारत अभियान से जुड़ेगी इसकी कोई तैयारी विभाग के पास नहीं है. सिर्फ नक्सली खौफ का हवाला देकर राज्य के पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग ने अपने हाथ खड़े कर लिए है.