छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भांजी करुणा शुक्ला को राज्य के मुख्यमंत्री रमन सिंह के खिलाफ राजनांदगांव सीट से चुनाव मैदान में उतारा है. विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए कांग्रेस की ओर से जारी उम्मीदवारों की दूसरी सूची में पार्टी ने बाकी बची 6 विधानसभा सीटों के लिए उम्मीदवार घोषित किए.
कांग्रेस ने इससे पहले 12 सीटों के लिए उम्मीदवार घोषित किये थे. छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव का पहला चरण 12 नवम्बर को होगा और नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 23 अक्टूबर है. करुणा शुक्ला ने कुछ वर्ष पहले बीजेपी छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गईं थीं.
INC COMMUNIQUE
Announcement of party candidates for the Legislative Assembly elections of Chhattisgarh. pic.twitter.com/wyBmhGR49x
— INC Sandesh (@INCSandesh) October 22, 2018
पार्टी की लिस्ट के मुताबिक गिरवार जंघेल खैरागढ़ सीट से, भुनेश्वर सिंह बघेल डोंगरगढ़ (SC) और दलेश्वर साहू डोंगरगांव विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे. इसके अलावा चन्नी साहू को खुज्जी सीट से और इंद्र शाह मंडावी को मोहला..मानपुर (ST) सीट से मैदान में उतारा गया है.
कौन हैं करुणा शुक्ला
करुणा शुक्ला पहली बार 1993 में बीजेपी से विधायक चुनी गईं और जांजगीर से सांसद रह चुकी हैं. बीते 4-5 साल से वे कई मौकों पर खुलेआम बीजेपी नेतृत्व, खास तौर से छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह की आलोचना करती आईं हैं. बीजेपी में अनदेखी से नाराज करुणा ने साल 2014 के लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस का हाथ थाम लिया. तब कांग्रेस ने उन्हें बिलासपुर से टिकट दिया लेकिन वे हार गईं. अब कांग्रेस ने उन्हें राजनांदगांव से सूबे के मुख्यमंत्री के खिलाफ उतारा है.
मुख्यमंत्री के खिलाफ शुक्ला को उम्मीदवार बनाए जाने को लेकर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मीडिया विभाग के अध्यक्ष शैलेष नितिन त्रिवेदी ने कहा कि वह (शुक्ला) कांग्रेस से जुड़ने के बाद राजनांदगांव क्षेत्र में लगातार सक्रिय हैं. वह पार्टी की मजबूत उम्मीदवार हैं और सिर्फ मुख्यमंत्री को चुनौती नहीं देंगीं बल्कि उनके खिलाफ जीत भी हासिल करेंगी.
शुक्ला का सियासी सफर
कांग्रेस में आने के बाद से करुणा शुक्ला ने लगातार मुख्यमंत्री के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है. कांग्रेस प्रवेश के बाद पार्टी ने उन्हें वर्ष 2014 लोकसभा चुनाव में बिलासपुर से अपना उम्मीदवार बनाया था. वह बीजेपी के लखनलाल साहू से चुनाव हार गई थीं. इससे पहले वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में वह बीजेपी के टिकट से कोरबा सीट से चुनाव लड़ी थीं लेकिन कांग्रेस के चरणदास मंहत से चुनाव हार गई थीं.
छत्तीसगढ़ में पिछले 15 वर्षों से कांग्रेस सत्ता से बाहर है और इस बार के चुनाव में वह सत्ता वापसी की कोशिश में है. वहीं बीजेपी इस चुनाव में 65 से अधिक सीटों में जीत हासिल कर चौथी बार सरकार बनाना चाहती है. राज्य में वर्ष 2013 में हुए चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को 90 सीटों में से 49 सीटों पर और कांग्रेस को 39 सीटों पर जीत मिली थी. वहीं एक-एक सीटों पर बसपा और निर्दलीय विधायक हैं.