छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार के ढाई साल पूरे होने के बाद से पावर शेयरिंग को लेकर विवाद चल रहा है. इसे खत्म करने के लिए पार्टी हाईकमान सक्रिय हो गया है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और मंत्री टीएस सिंह देव को दिल्ली तलब किया है. दोनों नेता राहुल गांधी व कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व से मंगलवार को मुलाकात करेंगे. इस दौरान राज्य के प्रभारी पीएल पुनिया भी मौजूद रहेंगे. ऐसे में देखना है कि महीनों से चल रहे घमासान को समाप्त करने के लिए क्या फॉर्मूला निकालता है?
बता दें कि साल 2018 में कांग्रेस 15 साल के सियासी वनवास के बाद छत्तीसगढ़ की सत्ता में लौटी थी तो सरकार गठन के दौरान पेच फंसा था. कांग्रेस में उस वक्त सीएम पद के दावेदारों में भूपेश बघेल के अलावा टीएस सिंह देव और ताम्रध्वज साहू भी थे. ऐसे में राहुल गांधी ने तीनों नेताओं को दिल्ली में बुलाकर सत्ता के भागेदारी का फॉर्मूला तय कर दिया था. बघेल को मुख्यमंत्री की कुर्सी मिली तो सिंह देव के स्वस्थ्य मंत्री का जिम्मा.
भूपेश बघेल और टीएस सिंह देव के बीच विवाद
छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार के ढाई साल 17 जून को पूरे होने के साथ ही पावर-शेयरिंग के फॉर्मूले को लेकर भूपेश बघेल और टीएस सिंह देव के बीच विवाद शुरू हो गया. इसकी वजह यह मानी जा रही है कि कांग्रेस सरकार गठन के दौरान पहले ढाई साल भूपेश बघेल सीएम रहेंगे और उसके बाद टीएस सिंह देव सत्ता संभालेंगे का फॉर्मूला था. हालांकि, पार्टी की ओर से आधिकारिक तौर पर इस तरह के फॉर्मूले पर कभी कुछ नहीं कहा गया.
छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल ने मुख्यमंत्री के तौर पर अपना ढाई वर्ष का कार्यकाल पूरा किया है और टीएस सिंह देव सीएम बनने की आस में है. हालांकि भूपेश बघेल और टीएस सिंह देव यही कहते रहे कि कांग्रेस हाईकमान की ओर से ही इस पर जो भी फैसला लिया जाएगा, वे उसे मानेंगे. इसके बाद भी दोनों नेताओं के बीच टेंशन साफ बनी रही.
पिछले महीने विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान कांग्रेस विधायक बृहस्पत सिंह की ओर से टीएस सिंहदेव पर हत्या कराने के आरोपों के बाद छत्तीसगढ़ में सत्ता के दो केंद्रों के बीच दूरी दिखने लगी है. इन आरोपों से सिंहदेव इतने आहत हुए थे कि उन्होंने आरोपों के संबंध में सरकार की ओर से सफाई आए बिना विधानसभा की कार्यवाही में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया था.
ऐसे में बृहस्पत सिंह ने बाद में आरोपों के लिए सदन में माफी मांगी और सरकार की ओर से गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा, सिंहदेव पर लगाए गए आरोप निराधार थे. उसके बाद ही सिंहदेव विधानसभा में कदम रखा था. सिंहदेव दिल्ली आए थे और कांग्रेस नेतृत्व से मिले थे. वहीं, भूपेश बघेल भी दिल्ली आकर प्रियंका गांधी और कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से मिले थे.
इसके बाद राहुल गांधी ने दोनों नेताओं को बुलाकर आमने-सामने बात करने का फैसला किया है. अब अटकलें लगाई जा रही हैं कि मंगलवार को दिल्ली में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की बघेल के साथ होने वाली बैठक के दौरान मुख्यमंत्री पद के बंटवारे के फॉर्मूले पर चर्चा हो सकती है. ऐसे में देखना है कि कांग्रेस हाईकमान छत्तीसगढ़ के दोनों नेताओं के बीच कैसे तालमेल बैठाने का काम करते हैं.