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कलेक्टर ने बेटी का दाखिला सरकारी स्कूल में कराया

सरकारी स्कूलों में पढ़ाई-लिखाई को लेकर अक्सर सवालिया निशान लगता रहा है. यही नहीं सरकारी स्कूलों के शिक्षकों की योग्यता और अनुशासनहीनता की खबरे अक्सर सुर्ख़ियों में रहती है. इसका असर सरकारी स्कूलों की छवि पर सीधा पड़ा है.

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सरकारी स्कूल में पढ़ती है कलेक्ट की बेटी
सरकारी स्कूल में पढ़ती है कलेक्ट की बेटी

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सरकारी स्कूलों में पढ़ाई-लिखाई को लेकर अक्सर सवालिया निशान लगता रहा है. यही नहीं सरकारी स्कूलों के शिक्षकों की योग्यता और अनुशासनहीनता की खबरे अक्सर सुर्ख़ियों में रहती है. इसका असर सरकारी स्कूलों की छवि पर सीधा पड़ा है. बड़े अफसर हों या व्यापारी और मध्यम वर्गीय परिवारों से ताल्लुक रखने वाला एक बड़ा वर्ग, अपने बच्चों का दाखिला सरकारी स्कूलों में कराने की बजाय प्राइवेट स्कूल में कराना मुनासिब समझता है. लेकिन अब ये परिपाटी टूटने वाली है. ताजा मामला छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले का है. यहां के कलेक्टर ने अपने बच्चे का दाखिला प्राइवेट स्कुल के बजाये सरकारी स्कूल में कराया है.

राज्य में 15 जून से सरकारी स्कूलों में पढ़ाई-लिखाई शुरू हो गई है. कलेक्टर अविनाश कुमार शरण ने अपनी पांच वर्षीय बेटी का दाखिला सरकारी स्कूल में कराया है. उन्होंने अपनी बेटी की प्राथमिक स्तर की पढ़ाई के लिए सरकारी प्रज्ञा प्राथमिक विद्यालय को चुना है. कलेक्टर साहब की इस पहल से अब लगता है कि सरकारी स्कूलों की पढ़ाई पर उठ रही उंगलियां अब थम जाएंगी. जाहिर है कि जिस स्कूल में जिले के कलेक्टर के बच्चे पढ़ेंगे, उस स्कूल का शिक्षा का स्तर खुद ब खुद सुधर जाएगा.

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लोगों को जब यह खबर लगी कि जिले के कलेक्टर के बच्चे आम सरकारी स्कूल में पढ़ रहे हैं तो इस पर अचानक किसी को भरोसा नहीं हुआ, लेकिन स्कूल में जब कलेक्टर साहब की बेटी पढ़ाई के लिए आती-जाती दिखाई दी तो उन्हें यकीन हुआ.

छत्तीसगढ़ के आला नौकरशाहों के बच्चे निजी ब्रांडेड स्कूलों में पढ़ाई कर रहे हैं. कई अफसरों के बच्चे प्राथमिक शिक्षा के लिए राज्य के बाहर और विदेशो में रह कर पढ़ाई कर रहे हैं. ऐसे में एक आईएएस अफसर की बच्ची का सरकारी स्कूल में दाखिला उल्लेखनीय है. बहरहाल लोगों को उम्मीद है कि ऐसी पहल और दूसरे अफसर भी करेंगे. कमोवेश उनके इस कदम से सरकारी स्कूलों की बदहाली जरूर दूर होगी.

 

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