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छत्तीसगढ़ में ठप हो गई भ्रष्ट बाबुओं को सबक सिखाने की मुहिम, कइयों पर गिरी थी गाज

छत्तीसगढ़ में दागी अफसरों को कम्पलसरी रिटायरमेंट देने के मामले के ठप्प पड़ने से वो कर्मचारी भी बेचैन हो गए हैं जो ईमानदारी और सरकारी दिशा-निर्देशों के तहत काम काज कर रहे हैं. वो सरकार से इस मुहीम के ठप्प पड़ने का वैधानिक कारण पूछ रहे हैं.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

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छत्तीसगढ़ में सरकार ने अपनी छवि सुधारने के लिए एक बड़ा कदम उठाया था. इसके तहत 20  साल की नौकरी और 50 साल की उम्र पार कर चुके दागी अफसरों को बाकायदा एक मुहीम के तहत चिह्नित किया जा रहा था. उनकी कार्यप्रणाली व सर्विस रिकॉर्ड को खंगालने के बाद उन्हें बाइज्जत कंपलसरी रिटायरमेंट दिया जा रहा था. यह मुहीम सरकार के सभी 55 विभागों में छेड़ी गई थी. विभाग प्रमुख सचिव और कर्मियों की गोपनीय चरित्रावली लिखने वाले अफसर की टीप और सिफारिश के बाद राज्य सरकार दागी अफसरों को सरकारी नौकरी से रुखसत कर रही थी. सरकार की इस मुहीम ने हड़कंप मचा दिया था. लेकिन जैसे ही मंत्रियों के करीबी अफसर इस नियम के दायरे में आए वैसे ही सरकार को सांप सूंघ गया.

हाल ही में गृह विभाग ने 20-50 के नियम के तहत लगभग आधा सैकड़ा डीएसपी, इंस्पेक्टर, सब इंस्पेक्टर, हवलदार और बाबुओं को कम्पलसरी रिटायर किया था. लेकिन जैसे ही बारी PHE विभाग के ENC टी. जी. कोसरिया की आई वैसे ही मंत्रियों की नींद उड़ गई. PHE विभाग के सचिव ने टी.जी. कोसरिया को कम्पलसरी रिटायरमेंट देने की सिफारिश कर दी. उन्होंने अपनी सिफारिश में बताया कि बीते 5 सालों से भी ज्यादा वक्त से उनकी गोपनीय चरित्रावली संतोषजनक नहीं है. यही नहीं उनके ENC बनने के बाद सरकारी और ग्रामीण इलाकों में पेयजल समस्या को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाने का हवाला देते हुए सचिव ने उनकी कार्यप्रणाली पर भी सवालिया निशान लगाया था. इस मामले के सामने आने के बाद सरकार पशोपेश में आ गई है. उस पर ENC साहब को कम्पलसरी रिटायरमेंट देने का दबाव बढ़ गया है.

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तो क्या चेहरा देख कर दिया जा रहा है कम्पलसरी रिटायरमेंट

छत्तीसगढ़ में दागी अफसरों को कम्पलसरी रिटायरमेंट देने के मामले के ठप्प पड़ने से वो कर्मचारी भी बेचैन हो गए हैं जो ईमानदारी और सरकारी दिशा-निर्देशों के तहत काम काज कर रहे हैं. वो सरकार से इस मुहीम के ठप्प पड़ने का वैधानिक कारण पूछ रहे हैं. एक को राहत और बाकी पर कार्यवाही को लेकर संयुक्त कर्मचारी मोर्चा के अध्यक्ष संजय बिश्वास ने कड़ी आपत्ति जाहिर की है. उन्होंने मांग की है कि सरकार ईमानदारी के साथ 20-50 के नियम को लागू करे.

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