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महानदी पर बन रहे बांध को लेकर छत्तीसगढ़-ओडिशा में टकराव

छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में अरपा, भैंसाझार बांध परियोजना के निर्माण से ओडिशा सरकार बिफरी हुई है. उसका मानना है कि इस बांध के निर्माण से राज्य के कई इलाकों में सूखे के हालात बनेंगे.

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बांध के विरोध में ओडिशा में प्रदर्शन
बांध के विरोध में ओडिशा में प्रदर्शन

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देश का ज्यादातर हिस्सा इन दिनों पानी से लबालब है. लेकिन ऐसे ही समय देश के दो राज्यों के बीच पानी के बंटवारे को लेकर जंग झिड़ी हुई है. ये दोनों ही राज्य ओडिशा और छत्तीसगढ़ है. पानी के बंटवारे को लेकर ओडिशा में स्थानीय राजनैतिक दल लगातार बंद का आह्वान कर रहे हैं तो छत्तीसगढ़ में भी लोग ओडिशा के खिलाफ सड़कों पर उतर रहे हैं.

राज्य में नवीन पटनायक सरकार के खिलाफ प्रदर्शनों का दौर जारी है. ओडिशा में जल संकट ना गहरा जाए इसके लिए राज्य के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर हस्तक्षेप करने की मांग की है. मामला महानदी के जल के बंटवारे का है. महानदी के पानी के बंटवारे को लेकर ओडिशा और छत्तीसगढ़ के बीच तकरार बढ़ गई है.

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छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में अरपा, भैंसाझार बांध परियोजना के निर्माण से ओडिशा सरकार बिफरी हुई है. उसका मानना है कि इस बांध के निर्माण से राज्य के कई इलाकों में सूखे के हालात बनेंगे, जबकि छत्तीसगढ़ सरकार की दलील है कि वो सिर्फ महानदी का बैक वॉटर रोक रहा है. यह पानी आगे जाकर ओडिशा में समुद्र में मिल जाता है. लिहाजा ओडिशा को घबराने की जरूरत नहीं है.

दोनों राज्यों के बीच तकरार बढ़ने के बाद छत्तीसगढ़ के कई जिलों में ओडिशा के खिलाफ प्रदर्शन शुरू हो गए हैं. ओडिशा के आपत्ति जाहिर करने के बाद बांध का निर्माण कार्य अभी शुरू नहीं हो पाया है. इसके चलते छत्तीसगढ़ के आधा दर्जन जिलों में बीजू जनता दल के खिलाफ लोग सड़कों पर उतर आये हैं. छत्तीसगढ़ में महानदी का जायजा लेने के बाद ओडिशा सरकार का प्रतिनिधि मंडल वापस भुवनेश्वर पहुंच गया है.

प्रतिनिधिमंडल ने इस बात का भरोसा दिलाया है कि दोनों ही सरकार के मंत्री और केंद्रीय जल बोर्ड के अफसर मिलकर जल्द ही विवाद सुलझा लेंगे. हालांकि छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में अरपा, भैंसाझार बांध परियोजना के निर्माण से खिन्न ओडिशा सरकार अब भी अपने स्टैंड पर कायम हैं. महानदी छत्तीसगढ़ और ओडिशा के लोगों के लिए जीवनदायनी नदी के रूप में पहचान है. महानदी छत्तीसगढ़ के महासमुंद्र अंतिम छोर से निकलकर ओडिशा की ओर बहती है, फिर यह भुवनेश्वर और पूरी के करीब समुद्र में मिल जाती है.

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पानी के बंटवारे को लेकर दोनों ही राज्य नए सिरे से केंद्र के समक्ष अपनी आपत्ति दर्ज कर रहे हैं. ओडिशा ने अपना तर्क रखते हुए कहा है कि इस बांध के बनने से ओडिशा पहुंचते-पहुंचते महानदी सुख जाएगी. इसके चलते ओडिशा के दो दर्जन जिलों में जल संकट गहरा जाएगा. वहीं छत्तीसगढ़ सरकार का एक प्रतिनिधि मंडल महानदी के बहाव का आंकलन और बांध के निर्माण का क्षेत्र देखने के लिए छत्तीसगढ़ के दौरे पर है. ओडिशा के उद्योग मंत्री देवी दत्त मिश्रा ने रायगढ़ में परियोजना का जायजा लेने के बाद कहा की दोनों ही राज्य मिल बैठ कर समस्या का हल निकालेंगे, उन्होंने कहा की हमारी तकनीकी टीम निरीक्षण कर रिपोर्ट तैयार करेगी.

उधर, छत्तीसगढ़ सरकार की दलील है कि ओडिशा बेवजह बांध के निर्माण पर रोड़ा अटका रहा है. छत्तीसगढ़ सरकार ने साल 2008 में केंद्रीय जल आयोग की अनुमति और सूचना के बाद बांध के निर्माण का प्रस्ताव लाया था. अरपा भैंसाधार परियोजना पर राज्य सरकार लगभग 2 हजार करोड़ की लागत से बांध बनाने जा रही है. केंद्रीय जल संसाधन और गंगा पुनुरुद्धार मंत्रालय इस योजना को हरी झंडी दे चुका है. छत्तीसगढ़ सरकार की यह भी दलील है कि केंद्रीय जल आयोग ने ओडिशा की तमाम आपत्तियां खारिज कर दी है. इस मामले में छत्तीसगढ़ के कृषि एवं सिचाई मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा है कि ओडिशा के आम लोगों को और मुख्यमंत्री जी को इस बात से परेशान होने की जरुरत नहीं है.

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