छत्तीसगढ़ में 1 नवम्बर का दिन गहमा गहमी भरा रहा. रायपुर के एक हिस्से में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कार्यक्रम था तो राज्यभर के सभी 27 जिलों में कांग्रेस का जेल भरो आंदोलन इस बार कांग्रेसियों ने जेल भरो आंदोलन किसी जेल के इर्द गिर्द नहीं किया बल्कि स्थानीय थानों के घेराव को लेकर पुलिस को मुश्किल में डाल दिया. थानों में कोई अप्रिय वारदात न हो जाये या फिर पथराव. इसे लेकर आला पुलिस अधिकारी दिनभर माथापच्ची करते रहे.
उधर बीजेपी सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप लगाकर कांग्रेसी पूरी ताकत के साथ सड़कों पर उतरे. उन्होंने बीस सूत्रीय मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन किया और अपनी गिरफ्तारियां दी. महत्वपूर्ण मांगों में बस्तर में फ़र्ज़ी नक्सली एनकाउंटर की सीबीआई जाँच की मांग किसानों की आत्महत्या, विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी के घोषणापत्र में धान का समर्थन मूल्य और बोनस को लेकर किये गए वायदे को निभाने, महिलाओं के साथ अत्याचार और भ्रष्टाचार के मामलों की जांच को लेकर कांग्रेसियों ने सरकार के नाम ज्ञापन सौंपा.
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल और नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव की अगुआई में कांग्रेसियों ने दिन भर बीजेपी सरकार की बाहें उधेड़ी. कांग्रेसियों ने सरकार को उसका भुला हुआ वादा याद दिलाया. बीजेपी ने वादा किया था कि वो तीसरी बार सत्ता में आई तो किसानों को धान का समर्थन मूल्य तेरह सौ रुपये प्रति क्विंटल से बढाकर सीधे इक्कीस सौ रुपये प्रति क्विंटल कर देगी. यही नहीं बोनस की रकम भी डेढ़ सौ रूपये प्रति क्विंटल से बढाकर तीन सौ रुपये क्विंटल कर देगी. लेकिन बीजेपी को सत्ता में आये ढाई साल बीत गए. पार्टी ने ना तो अपना वादा निभाया और ना ही ऐसी कोई पहल की जिससे किसानों को राहत मिल सके. अलबत्ता केंद्र में बीजेपी की सरकार बनने के बाद जरूर प्रधानमंत्री मोदी ने धान का समर्थन मूल्य तेरह सौ से बढाकर पतली धान का 1510 रुपये कर दिया जबकि मोटी धान का 1480. लेकिन धान पर बोनस देने के मामले में सरकार मुकर गई.
यह पहला मौका है जब कांग्रेसी कार्यकर्त्ता बीजेपी के खिलाफ एकजुट दिखे. हालांकि उनके इस प्रदर्शन से आम जनता को काफी दिक्कते उठानी पड़ी. जगह जगह पुलिस ने बैरिकेट लगाकर रास्ते बंद कर दिए थे ताकि प्रदर्शनकारियों को एक जगह रोका जा सके. लेकिन पुलिस के इस कवायद से जनता को कही चक्काजाम तो कही ट्रैफिक जाम से जूझना पड़ा.