छत्तीसगढ़ नगर निकाय चुनावों में भी कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा. 10 नगर निगमों, 49 नगर पालिका परिषदों और 114 नगर पंचायतों के लिए 11 फरवरी को वोटिंग हुई थी. भारतीय जनता पार्टी ने सभी 10 नगर निगमों में जीत का परचम लहराया है. जबकि कांग्रेस निगम में खाता भी नहीं खोल पाई है. जबकि 49 नगर पालिका में बीजेपी को 35, कांग्रेस को 8 सीटों पर जीत मिली है. इतना ही नहीं नगर पालिका में आम आदमी पार्टी ने भी अपना खाता खोल लिया है. AAP ने बोदरी की एक सीट पर जीत हासिल की है. जबकि 5 सीटें निर्दलीय के खाते में गई हैं.
इसके बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. रायपुर के पूर्व विधायक कुलदीप जुनेजा ने फोन पर कड़े शब्दों में अपनी निराशा व्यक्त की और कहा कि अगर राज्य इकाई का नेतृत्व इसी तरह चलता रहा तो मैं पार्टी मुख्यालय जाना बंद कर दूंगा. एआईसीसी को यहां राज्य नेतृत्व में आवश्यक बदलाव करने चाहिए और मैं इस बात को दिल्ली में एआईसीसी तक भी ले जाऊंगा. इस घटनाक्रम के बाद राज्य इकाई ने उन्हें असहमति जताने के लिए नोटिस थमा दिया है.
पूर्व कैबिनेट मंत्री अमरजीत भगत ने भी यही भावना व्यक्त की और कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, उपमुख्यमंत्री टीएस सिंह दवे, पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज और विपक्ष के नेता चरणदास महंत की वजह से हम चुनाव हारे हैं. उन्हें इस हार की जिम्मेदारी लेनी चाहिए. कार्यकर्ता पार्टी नेतृत्व पर सवाल उठाने से बाज नहीं आ रहे हैं और हाल ही में संपन्न हुए चुनावों में टिकट वितरण के बारे में पार्टी के निर्णय पर संदेह जता रहे हैं. वे राज्य के शीर्ष स्तर पर नेतृत्व में तत्काल बदलाव की मांग कर अपनी पीड़ा व्यक्त कर रहे हैं और साथ ही जीत का श्रेय आरएसएस के संगठनात्मक कौशल को देते हुए उनकी प्रशंसा कर रहे हैं.
राहुल कर नामक एक कांग्रेस कार्यकर्ता ने लिखा, “आरएसएस भाजपा की सबसे बड़ी ताकत है. आप इसकी आलोचना कर सकते हैं, लेकिन यह स्वीकार करने का साहस भी रखें कि यह देश भर में भाजपा की जीत का सबसे बड़ा कारण है.”
एक अन्य कांग्रेस कार्यकर्ता कल्पना सागर ने अपने लगातार 3 पोस्ट में लिखा, “मेयर नेता की पत्नी, वार्ड नेता की पत्नी, रायपुर निकाय चुनाव खुद चेयरमैन बनने की महत्वाकांक्षा से लड़ा, नतीजा सबके सामने है. जिस पार्टी में महिला कार्यकर्ताओं को अधिकार नहीं है, उसे समाप्त होने में समय नहीं लगता. रायपुर नगर निगम में कांग्रेस की ऐतिहासिक हार की जिम्मेदारी कौन लेगा?"
कांग्रेस कार्यकर्ता अमिताभ राजा घोष ने भी एक कदम आगे बढ़कर रायपुर नगर अध्यक्ष के इस्तीफे की मांग की है. उन्होंने लिखा है, "नैतिकता के नाते हार की जिम्मेदारी लेते हुए नगर अध्यक्ष को तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे देना चाहिए."
कांग्रेस के इस पूरे आंतरिक विवाद पर भाजपा ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा कि अब कांग्रेस नेताओं के आंतरिक संघर्ष का लोग आनंद ले रहे हैं. उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा कि पार्टी में मची हलचल से साफ है कि कांग्रेस ही अपनी हार का कारण है. जबकि हमारी पार्टी का वोट शेयर काफी बढ़ा है. 2023 के विधानसभा चुनाव में हमने 46% वोट शेयर हासिल किया, 2024 के लोकसभा चुनाव में यह बढ़कर 52% हो गया और अब नगरीय निकाय चुनाव के बाद यह 56% है. हमारी ट्रिपल इंजन सरकार सुनिश्चित करेगी कि छत्तीसगढ़ विकास के पथ पर अग्रसर हो.