कोरोना महामारी के खिलाफ वैक्सीन को सबसे बड़ा हथियार बताया गया है. इसी वजह से टीकाकरण की गति को तेज करने के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. लेकिन ये प्रयास अफवाह की वजह से कमजोर हो रहे हैं. देश के कई हिस्सों में वैक्सीन को लेकर ऐसी अफवाह है कि वहां पर लोग टीका लगवाने से भी डर रहे हैं. ऐसा ही हाल छत्तीसगढ़ के पनेड़ा गांव का है जहां पर लोगों के मन में वैक्सीन को लेकर तरह-तरह की भ्रांतियां बन गई हैं.
वैक्सीन को लेकर अफवाह, कैसे होगा टीकाकरण?
हैरानी की बात ये है कि पनेड़ा गांव में वैक्सीन को लेकर युवाओं में अलग डर है, वहीं बुजुर्ग दूसरी किसी वजह से परेशान हैं. जानकारी मिली है कि गांव में 18+ लोग इसलिए टीका नहीं लगवा रहे क्योंकि उन्हें नपुंसकता का डर सता रहा है, वहीं बुजुर्गों को मौत का डर दिखाया जा रहा है. लड़कियों को कहा जा रहा है कि वे मां नहीं बन पाएंगी. इसी तरह से समाज के अलग-अलग वर्ग में कोरोना टीका को लेकर अफवाह फैला दी गई है. इसका असर ये हुआ है कि 1840 की आबादी वाले इस गांव में जिला प्रशासन के प्रयासों के बाद सिर्फ 333 बुजुर्गों को टीका लग पाया है. वहीं 18 से 45 वाले वर्ग में कुल 639 लोगों को ही टीका लगा है.
लोगों के मन में क्या डर?
प्रशासन की तरफ से बताया गया है कि इन लोगों को भी टीका लगाना बड़ी चुनौती था. कई बार वैक्सीन लगाने वाले अधिकारियों पर हमला किया गया है, उन्हें डंडे के जरिए भगाया गया. इस बारे में जागरूकता दल के सदस्य बसंत यादव ने बताया कि अप्रैल माह से जागरूकता दल का गठन किया गया था. जब वे ग्रामीणों के घर जाकर उन्हें कोरोना का टीका लगाने को कहते हैं तो लोग उनसे बहस करने लगते हैं. घर के बुजुर्ग ना तो खुद टीकाकरण केंद्र पहुंच रहे हैं और ना ही अपने घर के 18 वर्ष से अधिक के उम्र के युवक-युवतियों को आने दे रहे हैं. कुछ बुजुर्गों ने तो यहां तक कह दिया कि यदि हमारी मृत्यु हो गई तो उसकी जिम्मेदारी आप लेंगे क्या?
इस पंचायत ने रचा कीर्तिमान
अब छत्तीसगढ़ के पनेड़ा गांव में जरूर वैक्सीनेशन को लेकर ऐसी उदासीनता देखने को मिल रही है, लेकिन दंतेवाड़ा जिले की नक्सल प्रभावित ग्राम पंचायत रेंगानार में स्थिति बिल्कुल उलट है. इस पंचायत ने 100% वैक्सीनेशन कर नया कीर्तिमान रच दिया है. प्रशासन द्वारा बताया गया है कि इस गांव के लोग भी टीका लगवाने से डर रहे थे, लेकिन जब उन्हें जागरूक किया गया, सभी ने समय रहते वैक्सीन भी लगवाई और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित किया. इस वजह से सिर्फ डेढ़ महीने में रेंगानार में 100 प्रतिशत टीकाकरण कर दिया गया.
धर्मेंद्र महापात्र की रिपोर्ट