scorecardresearch
 

छत्तीसगढ़ में फिर हुई गायों की मौत, मामले की जांच शुरू

ग्रामीणों का आरोप है कि धमतरी जिले के मगरलोड ब्लॉक स्थित इस गौशाला में रोजाना गाय मारी जा रही हैं. जबकि गौशाला संचालक का कहना है कि लोग बूढ़ी और बीमार गाय छोड़ जाते हैं.

Advertisement
X
गौशाला में गायों की मौत
गौशाला में गायों की मौत

Advertisement

छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के मगरलोड गांव की एक गौशाला में हफ्ते भर में 23 गायें भूख-प्यास से मर गईं. गो संचालक को प्रशासन ने पशु क्रूरता अधिनियम के तहत धरदबोचा है. पुलिस के मुताबिक इस गौशाला में करीब 200 गया थीं, जिन्हें सुरक्षित गौशालाओ के सुपुर्द किया जा रहा है.

10 वर्षों से चल रही गौशाला

इस गौशाला को सरकारी अनुदान मिलने की खबर नहीं है. यह गौशाला पिछले 10 वर्षों से चल रही थी. पुलिस के मुताबिक प्राथमिक रूप से ग्रामीणों के आर्थिक सहयोग से गो संचालन की जानकारी मिली है. उसके मुताबिक इस बात की भी पड़ताल की जा रही है कि इस गौशाला को कहीं सरकारी मदद तो नहीं मिली. इस गौशाला से जब स्थानीय ग्रामीणों को गंदी बदबू आई, तब उन्होंने इसकी सूचना ग्राम प्रधान को दी. इसके बाद ग्रामीणों ने गौशाला के बाहरी हिस्से का जायजा लिया. वहां उन्हें गाय के दफन अंग दिखाई दिए. इसके बाद गौशाला संचालक को उन्होंने आड़े हाथों लिया.   

Advertisement

एसडीएम ने मांगी मामले की जांच रिपोर्ट

छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के मगरलोड ब्लॉक स्थित इस गौशाला में रोजाना गाय मारी जा रही हैं. ऐसा ग्रामीणों का आरोप है. इस गौशाला का नाम वेदमाता गायत्री एनिमल हसबेंडरी गौशाला है. गौशाला संचालक का दावा है कि वो इसे गौशाला अनुसंधान केंद्र के रूप में संचालित करते हैं. इसके लिए वो ना तो सरकार से कोई आर्थिक मदद लेते हैं और ना ही किसी ट्रस्ट से. स्वयं के साधनों और ग्रामीणों के सहयोग से वो गौशाला का संचालन करते हैं. हालांकि पुलिस ने उन्हें गायों के बेमौत मारे जाने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है. उनके खिलाफ पशु क्रूरता अधिनियम के तहत अपराध दर्ज किया गया है. फिलहाल पुलिस और प्रशासन के अफसरों ने गौशाला में दबिश देकर हालात का जायजा लिया है. प्रशासन ने एसडीएम से इस मामले में जांच रिपोर्ट मांगी है. उधर घटना के सामने आने के बाद गौशाला में गो संरक्षण से जुड़े संगठनों का तांता लग गया है. वर्षों से इस इलाके में गौशाला का संचालन होने के बावजूद ना तो कभी गो आयोग ने यहां का जायजा लिया और ना ही स्थानीय प्रशासन ने.

गौशाला संचालक की दलील

पुलिस हिरासत में मनहरण साहू से लंबी पूछताछ की गई. उसके मुताबिक वो गो अनुसंधान केंद्र चला रहा था. उसने यह भी बताया कि गायों के संरक्षण के लिए उसने कई दान दाताओं से प्रति गाय 650 रुपए स्वीकार किए थे. इसी रकम से वो गायों को दाना-पानी देता था. उसके मुताबिक कई लोग बूढ़ी गाय उसे सौंप देते थे. ऐसी गाय जो बीमार और कमजोर थी, उसी ने ही दम तोड़ा है. पुलिस को दिए अपने बयान में उसने यह भी बताया कि बीते तीन माह में कुल 27 गाय मरी हैं. उसने इसे प्राकृतिक मौत बताया है.

Advertisement

छह माह पहले भी हुआ था हंगामा

हालांकि मौके का जायजा लेने के बाद इलाके के एसडीएम प्रेम कुमार पटेल ने गौशाला में गंदगी और अव्यवस्था पाया. फिलहाल सब डिविजनल मजिस्ट्रेट की जांच तीन दिन के भीतर पूरी कर ली जाएगी. उधर गायों के मारे जाने की खबर से कई हिंदूवादी और गो रक्षा से जुड़े संगठनों ने असंतोष जाहिर करते हुए इस गौशाला का रुख किया है. गौशाला में गायों की मौत को लेकर करीब छह माह पहले भी हंगामा हुआ था. तब दुर्ग जिले के धमधा के राजपुर और बेमेतरा जिले के रानो में बीजेपी नेता हरीश वर्मा की गौशाला में दर्जनों गाय बेमौत मारी गई थीं.

Advertisement
Advertisement