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छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश की सरहद पर बनने वाले बांध को लेकर बवाल

सुकमा जिले में नक्सलियों की सक्रियता की वजह से पोलावरम बांध के बैंक वाटर से डुबान से प्रभावित संभावित क्षेत्र के संयुक्त सर्वे का काम करीब दस साल से रुका पड़ा है.

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पोलावरम राष्ट्रीय सिंचाई परियोजना
पोलावरम राष्ट्रीय सिंचाई परियोजना

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आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी जिले में गोदावरी नदी पर निर्माणधीन पोलावरम राष्ट्रीय सिंचाई परियोजना का मामला फिर गरमा सकता है. बांध के डुबान से सुकमा जिले में प्रभावित होने वाले क्षेत्र के संयुक्त सर्वेक्षण के लिए आंध्र प्रदेश शासन ने छत्तीसगढ़ को दो करोड़ दस लाख संतावन हजार रुपये की राशि उपलब्ध करा दी है.

सुकमा जिले में नक्सलियों की सक्रियता की वजह से पोलावरम बांध के बैंक वाटर से डुबान से प्रभावित संभावित क्षेत्र के संयुक्त सर्वे का काम करीब दस साल से रुका पड़ा है.

66 साल पुरानी इस योजना पर शुरुआती दौर में 500 करोड़ रुपये का प्रवधान किया गया था लेकिन अब इसकी लागत बढ़कर 20 हजार करोड़ तक पहुंच गई है. इस योजना का संयुक्त मध्य प्रदेश के दौरान छत्तीसगढ़ में जबरदस्त विरोध हुआ. विरोध के चलते कई सालों तक इस प्रोजेक्ट की फाइल लाल बस्ते में कैद होकर रह गई.

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1977 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी और 1984 में राजीव गांधी ने इस योजना को जल्द पूरा करने के लिए काफी जोर दिया. इसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री वी पी सिंह, चद्र शेखर, पी वी नरसिम्हा राव, अटल बिहारी वाजपेयी, एच डी देवेगोड़ा, इंद्र कुमार गुजराल, और यूपीए शासनकाल मनमोहन सिंह ने भी इस योजना की प्रगति की समीक्षा की.

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