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एक और दाना मांझी, एंबुलेंस नहीं मिलने पर कंधे पर शव लेकर निकल पड़ा

ग्रामीणों को कंधे पर शव रख कर 30 किलोमीटर तक का सफर तय करना पड़ा. पीड़ित परिवार को अस्पताल प्रशासन ने एम्बुलेंस होने के बावजूद मुहैया नहीं कराई.   

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शव ले जाते परिजन
शव ले जाते परिजन

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छत्तीसगढ़ में चाहे शहरी इलाका हो या फिर ग्रामीण एम्बुलेंस की संख्या और उसकी तैनाती ज्यादातर हिस्सों में है. लेकिन जरुरतमंदों को इसकी मदद मिलना मुश्किल हो गया है. कारण जो भी हो लेकिन इस तरह के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है. शव को लाने ले जाने के लिए पीड़ितों को कंधे, रिक्शे और हाथ ठेलो का सहारा लेना पर रहा है.

ताजा मामला कोरिया जिले के सोनहद इलाके का है. यहां पोस्टमार्टम कराने के लिए ग्रामीणों को कंधे पर शव रख कर 30 किलोमीटर तक का सफर तय करना पड़ा. इस घटना के हफ्ते भर पहले मुख्यमंत्री रमन सिंह के गृह नगर राजनंदगांव में सरकारी अस्पताल से एक लड़की का शव हाथ ठेले में रख कर उसके घर पहुंचाया गया. पीड़ित परिवार को अस्पताल प्रशासन ने एम्बुलेंस होने के बावजूद मुहैया नहीं कराई.    

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 कोरिया के सोनहत थाना क्षेत्र के ग्राम बंशीपुर के जंगल में मवेशी चराने गए चरवाहों को एक युवक का शव पेड़ पर लटका मिला. चरवाहों ने पहले इसकी सूचना कोरिया जिले के जनपद सोनहत के बंशीपुर गांव के सरपंच को दी. सरपंच ने घटना की जानकारी सोनहत पुलिस थाने में दी. लेकिन पुलिस मौके पर नहीं पहुंची जिसकी वजह से लाश दूसरे दिन तक पेड़ पर ही लटकी रही. अगली सुबह पुलिस जब घटना स्थल पर पहुंची तो शव को नीचे उतारा गया. पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर शव का पंचनामा किया. फिर सरपंच को शव वाहन की व्यवस्था कर लाश को अस्पताल तक पहुंचाने का फरमान सुनाया और लौट गई.

सरपंच के लाख हाथ पैर मारने के बावजूद शव वाहन नहीं मिल पाया. नतीजा, ग्रामीणों ने लाश को अपने कंधे पर उठाया और सोनहत स्वास्थ्य केन्द्र की ओर चल पड़े. दूरी लगभग 30 किलोमीटर की था. रास्ते में जब शव को कंधे में लाद कर ले जाया जा रहा था तब राहगीरों ने इस वाकये की फोटो खींच ली. अब ये फोटो सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रही है. इसे देख कर लोग छत्तीसगढ़ के स्वास्थ विभाग और यहां के प्रशासन को कोस रहे हैं. हालांकि बवाल मचने के बाद शाम को पीड़ित परिजनों को शव वाहन मुहैया कराया गया. पोस्टमार्टम होने के बाद परिजन इसी शव वाहन से लाश को लेकर घर लौटे.

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