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छत्तीसगढ़ के पूर्व CM भूपेश बघेल के बेटे के ठिकानों पर ED की रेड, 15 जगहों पर छापेमारी

छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम के बेटे पर ईडी ने शिकंजा कसा है. भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य के 15 ठिकानों पर ईडी ने छापेमारी की है. बताया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले में भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल का नाम सामने आया था.

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Former CM of Chhattisgarh Bhupesh Baghel (File Photo)
Former CM of Chhattisgarh Bhupesh Baghel (File Photo)

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले में बड़ा एक्शन लेते हुए 15 ठिकानों पर छापेमारी की है. इस एक्शन से राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और दिग्गज कांग्रेस नेता भूपेश बघेल के बेटे पर शिकंजा कस सकता है.

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ईडी ने छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल के ठिकानों पर छापेमारी की है. ईडी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक कुल 15 ठिकानों पर रेड की गई है. यह मामला छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले से जुड़ा बताया जा रहा है. भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य का नाम इस मामले की जांच के दौरान सामने आया था.

शराब घोटाले में पहले भी हुआ एक्शन

बता दें कि इस मामले में ईडी पहले भी कई बड़े एक्शन ले चुकी है. इससे पहले जांच एजेंसी ने मई 2024 में पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा और रायपुर के मेयर एजाज ढेबर के भाई अनवर ढेबर समेत कई आरोपियों की लगभग 18 चल और 161 अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क किया था, जिसकी कीमत 205.49 करोड़ रुपये थी.

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इन आरोपियों की संपत्ति की गई थी कुर्क

ईडी ने जो संपत्तियां कुर्क की थी, उसमें पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा की 14 संपत्ति शामिल थी, जिनकी कीमत 15.82 करोड़ रुपये थी. वहीं, 115 संपत्तियां अनवर ढेबर की थीं, जिसकी कीमत 116.16 करोड़ थी. इसके साथ ही विकास अग्रवाल की भी 3 संपत्तियां कुर्क की गई थीं, जिसकी कीमत 1.54 करोड़ थी. 33 प्रॉपर्टी अरविंद सिंह की थीं, जिसकी कीमत 12.99 करोड़ थी. अरुण पति त्रिपाठी की 1.35 करोड़ रुपये की एक संपत्ति को जब्त किया गया था.

क्या है ईडी का आरोप

ईडी के मुताबिक 2017 में शराब की खरीद और बिक्री के लिए CSMCL बनाई गई थी, लेकिन सरकार बदलने के साथ ही ये सिंडिकेट के हाथ का एक टूल बन गई. आरोप है कि CSMCL से जुड़े कामों के लिए सारे कॉन्ट्रैक्ट इस सिंडिकेट से जुड़े लोगों को ही दिए जा रहे थे. ED का दावा है कि सिंडिकेट ने अवैध शराब की बिक्री से 'बड़ा कमीशन' कमाया, ये रकम अनवर ढेबर को दी गई और फिर उसने इसे राजनीतिक पार्टी तक साझा किया.

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