रायपुर से सटे आरंग ब्लॉक के तुमंगांव इलाके में एक किसान के साथ बैंक कर्मियों और कृषि कार्य से जुड़े दो लोगों ने बड़े सुनियोजित ढंग से ठगी की वारदात को अंजाम दिया. हालांकि, कुछ माह बाद ही हकीकत सामने आ गई. इस किसान के नाम पर 30 लाख रुपए निकाल लिए गए. आरोपियों ने इस रकम को बराबर बांट भी लिया. लेकिन जब लोन वसूली का नोटिस किसान को मिला तो उसने पुलिस से ठगी की वारदात की शिकायत की.
मामले में जांच के बाद बैंक ऑफ इंडिया के एक मैनेजर और कैशियर समेत चार लोगों के खिलाफ ठगी का मामला दर्ज किया गया है. इन लोगों ने तुलसीराम साहू नामक किसान को कृषि योजनाओं का लाभ दिलाने का भरोसा दिलाया. उसे बताया गया कि पॉली हाउस बनाने से पैदावार में तीन गुनी तक की बढोत्तरी होती है. यही नहीं, सरकार आधी कीमत में इसे बनवाती है और मूल रकम का 60 फीसदी हिस्सा बतौर सब्सिडी मिलता है.
पीड़ित किसान आरोपियों के झांसे में आ गया. आरोपी उसे बैंक ले गए. वहां लोन संबंधी तमाम औपचारिकताएं पूरी कराई गई. बताया जाता है कि तुलसीराम से कई कोरे दस्तावेजों में हस्ताक्षर भी कराए गए थे. लोन संबंधी प्रक्रिया पूरी करने में इस किसान के खेत खलिहान के तमाम दस्तावेज बैंक ऑफ इंडिया में जमा कराए गए. इसके बाद उसे जल्द लोन जारी किए जाने का आश्वासन दिया गया.
करीब आठ माह बाद इस किसान को बैंक से एक पत्र मिला. इस पत्र में जारी की गई लोन की रकम की अदाएगी की जानकारी दी गई. साथ ही डिफॉलटर घोषित होने पर खेत खलिहान की कुर्की की चेतावनी भी दी गई थी. इस नोटिस के मिलने के बाद पीड़ित किसान की सांसें फूल गई. वो पंच-सरपंचों से लेकर सरकारी अफसरों के यहां चक्कर काटने लगा. आखिरकर उसने पुलिस की शरण ली.
पुलिस ने कथित बॉयोटेक एवं ट्रेडिंग प्राइवेट लिमिटेड के कर्ताधर्ता विनय शुक्ला और घनश्याम धुर्व, बैंक ऑफ बड़ौदा आरंग के प्रबंधक श्याम बंदिया व एक कैशियर के खिलाफ चार सौ बीसी का प्रकरण दर्ज किया है. मामले की जांच कर रहे इंस्पेक्टर बीके साहू के मुताबिक आरोपियों ने बड़ी चालाकी से पीड़ित किसान के साथ ठगी की है.
उनके मुताबिक बैंक मैनेजर ने अपने अधिकारों का दुरूपयोग किया और लोन संबधी प्रक्रिया पूरी कराई. फिर लगभग 30 लाख की रकम आरोपियों ने फर्जी खाते खोलकर अपने एकाउंट में डलवा ली. इस रकम को सभी आरोपियों ने आपस में बांट लिया. एफआईआर दर्ज होने के बाद तमाम आरोपी अपने घर से फरार हैं. पुलिस उनकी तलाश में जुटी है.