छत्तीसगढ़ में आत्महत्या के बढ़ते मामलों ने सरकार को चिंता में डाल दिया है. राज्य की ढाई करोड़ की आबादी की तुलना में होने वाली आत्महत्या की संख्या से रमन सिंह सरकार चिंता में है. आत्महत्या करने वालों में आम लोगों से लेकर बड़ी तादाद में किसान भी शामिल हैं. पिछले ढाई साल में करीब 15,000 लोगों ने आत्महत्या की है.
विपक्ष का आरोप है कि सरकार की नीतियों के फेल होने की वजह से आत्महत्या के मामले बढ़े हैं. कांग्रेस ने इसके लिए बीजेपी के कुशासन को जिम्मेदार ठहराया है. उसके मुताबिक राज्य में न तो स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर है और न ही सरकारी योजनाएं जनता तक पहुंच पा रही हैं. इसके चलते निराशा बढ़ी है और जनता आत्महत्या के लिए विवश है. विधानसभा में इस मामले को लेकर सत्ताधारी बीजेपी और कांग्रेस के बीच नोकझोंक भी हुई है.
ढाई साल में 1300 से ज्यादा किसानों ने की आत्महत्या
पिछले ढाई साल में कुल पौने 15 हजार से अधिक लोगों ने आत्महत्या की है. इनमें से करीब साढ़े 13 सौ किसान थे. यह जानकारी गृहमंत्री रामसेवक पैकरा ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी है. दरअसल, कांग्रेस सदस्य अमरजीत भगत ने जानना चाहा कि प्रदेश में वर्ष 2015-16 से 30 अक्टूबर 2017 तक किस-किस जिले में कितनी-कितनी संख्या में आत्महत्या के प्रकरण दर्ज किए गए?
इसके जवाब में गृहमंत्री ने बताया कि प्रदेश में आत्महत्या के कुल 14 हजार 705 प्रकरण दर्ज किए गए हैं. उन्होंने यह भी बताया कि आत्महत्या करने वालों में कुल 1344 लोग किसान थे और 13361 अन्य लोग थे. आर्थिक तंगी के कारण 13 लोगों ने आत्महत्या की और कर्ज से पीड़ित होकर 19 लोगों ने आत्महत्या की है.