दंडकारण्य SZC ने सुकमा में कांग्रेसी नेताओं पर हमले की जिम्मेदारी ले ली है. संगठन की ओर से गुडसा उसेंडी ने इस संबंध में एक प्रेस नोट जारी किया गया है. प्रेस नोट में नक्सलियों ने कहा, हमारे निशाने पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां हैं.
छत्तीसगढ़ में हुए नक्सली हमले की जिम्मेदारी लेते हुए दंडकारण्य कमेटी ने मीडिया को चिट्ठी लिखी है. दंडकारण्य विशेष जोनल कमेटी के प्रवक्ता गुड्सा उसेंडी का कहना है कि नक्सलियों ने सलवा जुडूम का बदला लिया है.
चिट्टी में साफ तौर पर लिखा गया है कि हमारे निशाने पर मुख्य रूप से महेंद्र कर्मा ही थे. वो सामंती परिवार के थे, हालांकि अपने को आदिवासियों का नेता बताते थे. उन्होंने सलवा जुडूम का समर्थन किया था, जिसने बस्तर इलाके में भारी तबाही मचाई थी.
चिट्टी में लिखा गया है कि रमन सरकार से उनके बेहतर रिश्ते थे. उन्हें तो रमन सिंह का सोलहवां मंत्री भी कहा जाने लगा था. नंदकुमार भी नक्सलियों के विरोधी थे, इसीलिए उनकी हत्या की गई.
चिट्ठी में नक्सलियों ने वीसी शुक्ला को भी नक्सलियों का विरोधी बताया है. साथ ही कहा है कि इस हमले में जो निर्दोष लोग मारे गए उसका उन्हें खेद है.
नक्सली संगठन ने हमले की जिम्मेदारी तो ली ही, वहीं, आदिवासी नेता महेंद्र कर्मा के परिवार को हफ्ते के अंदर गांव छोड़ने की धमकी भी दे डाली. ऐसे में, राज्य सरकार ने कर्मा के परिवार को जेड प्लस सुरक्षा और नंदकुमार पटेल के परिवार को जेड सुरक्षा देने का निर्णय लिया है.
कौन थे महेंद्र कर्मा और क्यों नक्सली बन गए उनकी जान के दुश्मन
महेंद्र कर्मा को बस्तर का टाइगर कहा जाता था. उन्होंने 2005 में सलवा जुडूम अभियान शुरू किया था. सलवा जुडूम यानि नक्सलियों की गोली का जवाब देने का अभियान. सलवा जुडूम के जरिए महेंद्र कर्मा ने आदिवासियों को नक्सलियों से लड़ने की ताकत दी थी.
सलवा जुडूम के तहत आम लोगों को हथियार देकर नक्सली आतंकियों से निपटने की ट्रेनिंग दी जाती थी. महेंद्र कर्मा के सलवा जुडूम अभियान की आलोचना भी खूब हुई. नक्सलियों के हितों की वकालत करने वाले लोगों ने इसे दूसरी तरह का आतंकवाद करार दिया था, लेकिन छत्तीसगढ़ की बीजेपी सरकार ने महेंद्र कर्मा के इस फॉर्म्यूले को अपना लिया और स्पेशल पुलिस फोर्स तैयार की. सलवा जुडूम के तहत सैकड़ों नक्सली मारे गए थे. इस तरह महेंद्र कर्मा नक्सलियों के दुश्मन नंबर एक बन गए थे.
महेंद्र कर्मा पर चार बार नक्सली हमला हुआ था, लेकिन हर बार उन्होंने मौत को मात दे दी थी, लेकिन पांचवें हमले के वक्त किस्मत ने साथ नहीं दिया और महेंद्र कर्मा शहीद हो गए. महेंद्र कर्मा के साथ ही खामोश हो गई आदिवासियों की वो ताकत, जो उनकी मजबूत आवाज भी थी.
उधर, छत्तीसगढ़ में नक्सली हमले पर मंगलवार को कैबिनेट सचिव की बैठक होने जा रही है. इसमें सभी संबंधित विभागों के प्रतिनिधि मौजूद रहेंगे. वहीं, इस नक्सली हमले पर राज्य सरकार आज रिपोर्ट पेश करेगी.
एनआईए की टीम मिली घायलों से, जांच शुरू
उधर, नक्सली हमले की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की टीम ने हमले में घायल कांग्रेस नेताओं और पुलिस कर्मचारियों से मुलाकात कर मामले की जानकारी ली है.
राज्य के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने बताया कि एनआईए की टीम ने छत्तीसगढ़ पहुंचकर दरभा नक्सली हमले की जांच शुरू कर दी. टीम ने रामकृष्ण केयर अस्पताल का दौरा किया और वहां भर्ती घायल नक्सली नेताओं और पुलिस जवानों से मुलाकात की. टीम ने घायल नेताओं और जवानों से घटना के संबंध में पूछताछ भी की.
अधिकारियों ने बताया कि एनआईए की टीम ने छत्तीसगढ़ पुलिस से घटना के संबंध में जरूरी दस्तावेज और अन्य जानकारी उपलब्ध कराने के लिए कहा है, वहीं उन्होंने सुकमा में हुए आमसभा की सीडी की भी मांग की है.
क्या था मामला
छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में शनिवार को नक्सलियों ने कांग्रेस की परिवर्तन रैली पर घात लगाकर हमला कर दिया था. इस हमले में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंद कुमार पटेल, पूर्व नेता प्रतिपक्ष महेंद्र कर्मा समेत 27 लोगों की मौत हो गई थी तथा पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण विद्याचरण शुक्ल समेत 37 लोग घायल हो गए थे.
केंद्र सरकार ने मामले की जांच का जिम्मा एनआईए को सौंपा है. वहीं राज्य सरकार ने मामले की न्यायिक जांच की घोषणा की है.