छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी को हाई पावर कमेटी ने आदिवासी मानने से इंकार कर दिया है. कमेटी ने आदेश जारी कर कहा है कि अजीत जोगी अनुसूचित जनजाति का संवैधानिक लाभ लेने के पात्र नहीं हैं. कमेटी ने जोगी को कंवर जाति का मानने से इंकार कर दिया है.
आईएएस रीना बाबा कंगाले की अध्यक्षता में बनी 6 सदस्य टीम में रीना बाबा कंगाले ही उपाध्यक्ष और सचिव हैं. इसके अलावा आईएएस जी आर चुरेंद्र , जीएम झा और आरएस टंडन कमिटी के सदस्य हैं. छत्तीसगढ़ गठन के बाद से ही अजित जोगी की जाति को लेकर राजनीतिक विवाद सुर्ख़ियों में रहा है. छत्तीसगढ़ का गठन आदिवासी बहुलता के चलते हुआ.
कांग्रेस ने मध्यप्रदेश के विभाजन के बाद छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री के रूप में अजित जोगी को मुख्यमंत्री बनाया था. इसके बाद से ही बीजेपी उन्हें नकली आदिवासी करार दे रही थी. मामला बिलासपुर हाईकोर्ट में लंबित था. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. सुप्रीम कोर्ट ने एक निर्देश जारी कर मामला वापस छत्तीसगढ़ में जाति निर्धारण के लिए गठित छानबीन समिति को सौंप दिया था. करीब दो साल से प्रदेश स्तरीय जाति निर्धारण छानबीन समिति अजित जोगी मामले की सुनवाई कर रही थी .
जेसीसी सुप्रीमो अजीत जोगी, सरकार की ओर से महाधिवक्ता जुगल किशोर गिल्डा, कलेक्टर बिलासपुर को इस आदेश की कॉपी भेज गयी है. हांलाकि जोगी ने कहा कि अभी तक उनके पास कॉपी नहीं आई है और जैसे ही कॉपी आएगी वो इसके खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे.
फिलहाल अधिकृत व्यक्तित्यों के अलावा छानबीन कमिटी के फैसले की प्रतिलिपि सार्वजनिक नहीं की है, लेकिन फैसला आने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री अजित जोगी बीजेपी और कांग्रेस के निशाने पर आ गए हैं.