छत्तीसगढ़ से हौसले की एक ऐसी कहानी आई है, जिसने हर किसी को हैरान कर दिया. 29 साल के चित्रसेन ने एक हादसे में अपने दोनों पैरों को खो दिया था. बावजूद इसके उन्होंने जिंदगी में हार नहीं मानी और प्रोस्थेटिक पैर की मदद से 7 में से 3 महाद्वीप के सबसे ऊंचे पर्वतों पर फतह हासिल करने में वह कामयाब रहे. अब उनका सपना है कि वो दुनिया की सभी सातों ऊंची चोटी पर चढ़कर तिरंगा लहराए.
बिना पैर के चढ़ डाले दुनिया के सात बड़े पर्वत
चित्रसेन को शुरुआत से ही घूमना-फिरना, ट्रैकिंग करना, जंगलों में जाना, पहाड़ों पर चढ़ना पसंद था. दुर्घटना के बाद उन्होंने बास्केटबॉल खेलना शुरू किया और छोटे-छोटे ट्रैक करने में सफलता हासिल की. इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ा. फिर उन्होंने कुछ ट्रेनिंग ली और धीरे-धीरे माउंटेनियरिंग की तरफ उनका झुकाव हो गया.
दुनिया के सात पर्वतों पर चढ़ने का सपना
चित्रसेन का सपना दुनिया की सभी सात पर्वतों की चोटियों पर चढ़ने का है. वो अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप के पहाड़ों की चोटियों पर तिरंगा लहरा चुके हैं. अब चौथा पड़ाव दक्षिणी अमेरिका का माउंट ऐकंकॉन्गुआ है. बता दें, ये इस महाद्वीप की सबसे ऊंची चढ़ाई है. हिमालय रेंज को छोड़ दें तो ये दुनिया की सबसे ऊंची चोटी है.
चित्रसेन पहले भारतीय हैं जिन्होंने डबल लेग एंप्टी (Double leg Amputee) होने के बावजूद माउंट किलिमंजारो, माउंट कोसियस्जको पर चढ़ाई की है. इसके साथ इन्होंने माउंट एल्ब्रुस पर भी चढ़ाई की. ये तीनों ही दुनिया की सबसे ऊंची चोटियों में आती हैं.
14 हजार फीट से स्काई डाइविंग करने का रिकॉर्ड
एक सफल पर्वतारोही होने के साथ चित्रसेन नेशनल व्हीलचेयर बास्केटबॉल और नेशनल पैरा स्विमिंग टीम के भी सदस्य हैं. उनके नाम 14 हजार फीट से स्काई डाइविंग करने का भी रिकॉर्ड दर्ज है. इतना ही नहीं वे एक सर्टिफाइड स्कूबा डाइवर भी हैं. चित्रसेन ने दिव्यांगजनों के ड्राइविंग लाइसेंस के लिए काफी लंबी लड़ाई भी लड़ी है.
(इनपुट- अपूर्वा सिंह)