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ITBP K9 स्क्वॉड के तीन स्निफर-डॉग्स एसी फर्स्ट क्लास में बैठकर जा रहे हैं छत्तीसगढ़, देखें वीडियो

ये तीनों छत्तीसगढ़ जाएंगे. इन्होंने आईटीबीपी के लिए अपनी सेवा दी है. इतना ही नहीं इन्होंने अपने काम को बखूबी अंजाम दिया है. यही वजह है कि अफगानिस्तान स्थित भारतीय दूतावास पर एक भी हमला नहीं हो सका. ये बिना किसी गलती के आतंक को सूंघ लेते थे. इन्होंने वहां पर अपनी जिंदगी भी जी. 

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ITBP K9 के तीन हीरो (फोटो- आजतक)
ITBP K9 के तीन हीरो (फोटो- आजतक)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • अफगानिस्तान से लौटे ITBP K9 के तीन हीरो
  • एसी फर्स्ट क्लास में बैठकर जा रहे हैं दोस्तों के पास

आईटीबीपी की के-9 स्क्वॉड के तीन हीरो- रूबी, माया और बॉबी अब अपने नये साहसिक यात्रा पर हैं. तीनों अपने कोटे के एसी फर्स्ट क्लास डिब्बे में रेल यात्रा कर रहे हैं. यह किसी भी आईटीबीपी के-9 लिए सामान्य सुविधा है. जो भारतीय रेलवे द्वारा इन्हें दी जाती है. ये तीनों पिछले कई सालों से काबुल स्थित भारतीय दूतावास पर निगेहबानी कर रहे थे. जिससे कि दूतावास को आईईडी और दूसरे आतंकी हमलों से बचाया जा सके.

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मंगलवार को जब आईटीबीपी के 99 कमांडो अफगानिस्तान से लौटे तो ये तीन हीरो भी उन्हीं के साथ भारत लौट आए. अब ये तीनों हीरो अपने पुराने दोस्तों के पास वापस जा रहे हैं. एक वीडियो सामने आया है जिसमें रूबी, माया और बॉबी ट्रेन में बैठे दिखाई दे रहे हैं.

ये तीनों छत्तीसगढ़ जाएंगे. इन्होंने आईटीबीपी के लिए अपनी सेवा दी है. इतना ही नहीं इन्होंने अपने काम को बखूबी अंजाम दिया है. यही वजह है कि अफगानिस्तान स्थित भारतीय दूतावास पर एक भी हमला नहीं हो सका. ये बिना किसी गलती के आतंक को सूंघ लेते थे. इन्होंने वहां पर अपनी जिंदगी भी जी. 

और पढ़ें- अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों के जाते ही भारत ने तालिबान के साथ शुरू की बातचीत

बता दें, राजधानी काबुल में भारतीय दूतावास और हेरात तथा कंधार सहित चार वाणिज्य दूतावासों की सुरक्षा भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के जिम्मे थी. अफगानिस्तान में भारतीय संस्थानों को अल-कायदा और अन्य आतंकवादी समूहों से खतरा था. ये जवान अफगानिस्तान में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर आतंकवादी हमले को नाकाम करने में कामयाब रहे थे. साल 2016 में आईटीबीपी के दस कमांडो को 70वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर शीर्ष पुलिस वीरता पुरस्कार से भी नवाजा गया था.

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हमले मजार ए शरीफ और जलालाबाद में भारतीय वाणिज्य दूतावासों पर हुए थे. इससे समझा जा सकता है कि अफगानिस्तान में आईटीबीपी की क्या भूमिका थी.  

 

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