मोहम्मद अली जिन्ना को लेकर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में छिड़ा विवाद अब देश के दूसरे राज्यों के विश्वविद्यालय और कॉलेजों में भी फैलने लगा है. ताजा मामला छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले का है, जहां के सरकारी पीजी कॉलेज के टॉयलेट में ABVP के छात्रों ने मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर लगा दी.
छात्रों का गुस्सा इस कदर फूटा कि उस तस्वीर पर उन्होंने पेशाब भी की. कॉलेज प्रशासन इस बात से बेखबर था. जब कई छात्र शौचलय से बाहर आये और उन्होंने मोहम्मद अली जिन्ना के कार्यों पर माथापच्ची करते हुए शौचालय में लगी तस्वीर के बारे में प्रोफेसरों को बताया. इसके बाद हरकत में आये कॉलेज प्रशासन ने फ़ौरन शौचालय से यह तस्वीर हटवाई.
मामला सोमवार की दोपहर का है. कवर्धा के सरकारी कॉलेज में सुबह से लगने वाली क्लास पूरी तरह से सामान्य नजर आयी लेकिन दोपहर में ABVP के कार्यकर्ताओं ने कॉलेज परिसर में अचानक हंगामा खड़ा कर दिया. वो मोहम्मद अली जिन्ना मुर्दाबाद के नारे लगा रहे थे. इस बीच कई ऐसे छात्र थे जो शौचालय का उपयोग कर बाहर निकले. उन्होंने अपने साथियों को बताया की कई छात्र जिन्ना की तस्वीरों पर पेशाब कर रहे हैं. यह उनके प्रति नाराजगी और प्रदर्शन के बतौर हो रहा है.
छात्र संगठन ABVP की स्थानीय इकाई के मुताबिक यह देश भक्त छात्रों का कॉलेज है जबकि AMU में जिस शख्स की तस्वीरें लगा कर उन्हें आदर्श माना जा रहा है उस शख्स ने भारत माता के दो टुकड़े किये थे. उनके मुताबिक पकिस्तान के जन्मदाता को आदर्श मान कर शैक्षणिक संस्थान में उनकी तस्वीर लगाना कतई मंजूर नहीं है और अपने तरीके से वह इसका विरोध करेंगे. प्रदर्शनकारी छात्रों ने ऐलान किया कि वे सिर्फ अपने कॉलेज के शौचालय में नहीं बल्कि शहर के सभी शैक्षणिक संस्थानों के शौचालय में जिन्ना की तस्वीर लगाएंगे.
क्या है पूरा मामला?
आपको बता दें कि अलीगढ़ से बीजेपी सांसद सतीश गौतम ने एएमयू के कुलपति तारिक मंसूर को लिखे अपने पत्र में विश्वविद्यालय छात्रसंघ के कार्यालय की दीवारों पर पाकिस्तान के संस्थापक की तस्वीर लगे होने पर आपत्ति जताई थी.
हालांकि, विश्वविद्यालय के प्रवक्ता शाफे किदवई ने दशकों से लटकी जिन्ना की तस्वीर का बचाव किया और कहा कि जिन्ना विश्वविद्यालय के संस्थापक सदस्य थे और उन्हें छात्रसंघ की आजीवन सदस्यता दी गई थी.
प्रवक्ता ने कहा, ‘जिन्ना को भी 1938 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय छात्रसंघ की आजीवन सदस्यता दी गई थी. वह 1920 में विश्वविद्यालय कोर्ट के संस्थापक सदस्य और एक दानदाता भी थे.’ उन्होंने कहा कि जिन्ना को मुस्लिम लीग द्वारा पाकिस्तान की मांग किए जाने से पहले सदस्यता दी गई थी.