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वेस्टर्न कल्चर को टक्कर देगी खादी, छत्तीसगढ़ में चल रही खास मुहिम

रायपुर में खादी पहन कर कई मॉडलस् ने रैंप पर अपना ऐसा जलवा बिखेरा कि लोग उन्हें टकटकी लगाए देखते ही रहे. छत्तीसगढ़ खादी ग्राम उघोग विभाग के एम डी आलोक कटियार के मुताबिक खादी का नया लुक विदेशी परिधानों को कड़ी टक्कर देगा.

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खादी
खादी

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लगता है देश में अब खादी के दिन फिरने वाले है, चाइनीस सामानों के बहिष्कार के बाद अब छत्तीसगढ़ में खादी अपनाने को लेकर नई मुहीम छिड़ी है. खादी के शौकीनों ने लोगो से खादी अपनाने की गुहार लगाई है. लोगो को बताया जा रहा है कि खादी किस तरह से शरीर को ना केवल कई बीमारियों से बचाती है बल्कि खादी पहनने से उनमें देशभक्ति की भावना भी जाग्रत होती है. सोशल मीडिया पर भी खादी के फायदे गिनाये जा रहे है.

रायपुर में खादी पहन कर कई मॉडलस् ने रैंप पर अपना ऐसा जलवा बिखेरा कि लोग उन्हें टकटकी लगाए देखते ही रहे. छत्तीसगढ़ खादी ग्राम उघोग विभाग के एम डी आलोक कटियार के मुताबिक खादी का नया लुक विदेशी परिधानों को कड़ी टक्कर देगा. उनके मुताबिक खादी को परम्परागत लुक के अलावा फैशनेबल लुक दिया गया है, बुनकरों को प्रशिक्षण देकर स्टाइलिश सूट और दूसरे वस्त्र तैयार कराये जा रहे है, ताकि वेस्टर्न क्लॉथ को टक्कर दी जा सके.

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इस शो में मुम्बई से आई मॉडलों ने ट्रेडिनशनल, सेव गर्ल्स और वंदे मातरम थीम पर केट वॉक किया. हाथों में तिरंगा लिए किया गया कैटवॉक सेंटर ऑफ अट्रेक्शन रहा. लेटेस्ट फैशन को ध्यान में रखकर खादी से बनी शर्ट, कुर्ता पैजामा, जैकेट और लंहगा पहन कर मॉडलों ने रैंप पर अपना जलवा बिखेरा.

खादी के फेब्रिक को खासतौर पर किया जा रहा है तैयार
खासबात यह है कि ये सभी वस्त्र छत्तीसगढ़ के बुनकरों ने ही तैयार किये है, आमतौर पर बुनकर खादी कातने का काम करते है लेकिन स्टार्टप के जरिये अब वो फैशन की दुनिया में कदम रख रहे है. खादी से बने वस्त्रों की ड्रेस डिजाइन से लेकर उसके लिए बाजार तलाशने का बीड़ा बुनकरों ने अपने कंधो पर उठाया है, नए फेब्रिक और स्टाइलिश कपड़ो के इस दौर में खादी का आकर्षण बनाये रखने के लिए बुनकरों ने खादी को नए रंग दिए है.

आधुनिक दौर में खादी की रंगत देखने के लिए मुख्यमंत्री रमन सिंह समेत कई राजनेता अफसर और आम लोगो ने इस फैशन शो में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई. कार्यक्रम में खादी से बने वस्त्रो में हेवी वर्क पहली बार लॉन्च किया गया, ब्राइड एंड ग्रूम के अलावा हर खासोआम अब खादी से बानी ड्रेस पहने नजर आएगा. वेस्टर्न लुक और विदेशी कपड़ो को चुनौती देने के लिए खादी के फेब्रिक में भी कई तरह के बदलाव किये गए है, इसे इस तरह से तैयार किया गया है कि खादी की गुणवत्ता में किसी तरह का फर्क ना पड़े.

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वीआईपी की तर्ज पर आम लोगो को खरीदी में मिलेगी तीस फीसदी की छूट

अभी तक वीआईपी और वीवीआईपी खादी के वस्त्रो की खरीदी पर तीस फीसदी तक की विशेष छूट मिला करती थी, लेकिन अब आम लोगो को भी यह छूट दे दी गई है ताकि खादी पहनने की इस मुहिम में ज्यादा से ज्यादा लोग जुड़ सके. इस तरह के फैशन शो आयोजित कर लोगो को खादी की खूबियां बताई जा रही है.

छत्तीसगढ़ में बुनकरों के एक लाख से ज्यादा परिवार रहते है, इन परिवारों की आजीविका पूरी तरह से खादी की कताई और बुनाई पर ही निर्भर है. राज्य के जांजगीर चांपा, कोरबा, रायगढ़, मुंगेली और बस्तर में खादी का जबरदस्त उत्पादन होता है. लेकिन पिछले कुछ वर्षो में खादी की मांग में आई गिरावट ने इनके उघोगों को चौपट कर दिया. सोशल मीडिया में खादी के वस्त्रो की खूबियां बताये जाने के बाद एक बार फिर लोग खादी पहनने में दिलचस्पी दिखा रहे है, लिहाजा सरकार भी बुनकरों की मदद के लिए आगे आई है.

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