छत्तीसगढ़ के कोरबा में बच्चियों और महिलाओं को सुरक्षा देने के लिए महिला रक्षा टीम का गठन किया गया है. इस रक्षा टीम में महिला पुलिस कर्मियों और पुलिस की सहयता करने वाले सामाजिक संगठनों को जोड़ा गया है. दस दिन पहले इस महिला रक्षा टीम का गठन किया गया था. इतने दिनों में पहला कॉल मुसीबत से घिरी एक लड़की का आया.
पीड़ित लड़की ने फोन कर सीधे कहा कि मेरे पिता को जेल में डाल दीजिए. वो मुझे बेहद परेशान करते हैं. पीड़ित लड़की ने अपना पता ठिकाना भी बताया और रक्षा टीम से जल्द घर आने की गुहार लगाई. लड़की ने जिस अंदाज में बातचीत की थी उससे अंदेशा हो रहा था कि उसके साथ कुछ गलत हो रहा है. लिहाजा महिला रक्षा टीम बगैर देर किए उस लोकेशन पर रवाना हो गई. घर में दस्तक देते ही उस लड़की ने दरवाजा खोला और महिला रक्षा टीम के सदस्यों को ड्राइंग रूम में बैठा दिया.
महिला रक्षा टीम का शक और गहरा गया. उधर लड़की ने आवाज देकर पहले अपनी मम्मी को बुलाया और फिर पापा को भी बुलाया. इसके बाद बड़े मासूमियत भरे अंदाज में शिकायत करते हुए कहा कि उसके पापा उसे मोबाईल पर बात नहीं करने देते और वॉट्सएप भी देखने नहीं देते. कई बार इसे लेकर पापा उसे पीट भी चुके हैं. कुछ देर पहले उन्होंने उसे खूब डांटा भी है. इसलिए उन्हें जेल में डाल दीजिए. महिला रक्षा टीम की प्रभारी इंस्पेक्टर दीपा केवट यह सब देख सुनकर हैरत में पड़ गईं. हालांकि उन्होंने पिता-पुत्री को समझाया और टीम वापस लौट गई.
इटावा में भी कुछ ऐसा ही हुआ
उत्तर प्रदेश के इटावा में भी पिछले दिनों एक मासूम बच्चा अपने पिता की मेला न घुमाने को लेकर पुलिस से शिकायत करने थाने पहुंच गया था. सबसे अच्छी बात यह रही कि पुलिस ने भी संवेदनशीलता का परिचय देते हुए न सिर्फ मासूम की अच्छी तरह शिकायत सुनी बल्कि उसकी समस्या का हल भी निकाला.