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बॉम्बे ब्लड ग्रुप बना मुसीबत, नहीं हो पा रहा इस शख्स का ऑपरेशन

रेयर ऑफ द रेयरेस्ट कहे जाने वाले बॉम्बे ब्लड ग्रुप के चलते बिलासपुर के सरकारी मेडिकल कॉलेज सिम्स (CIMS) में एक मरीज का ऑपरेशन नहीं हो पा रहा है.

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सिम्स
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रेयर ऑफ द रेयरेस्ट कहे जाने वाले बॉम्बे ब्लड ग्रुप के चलते बिलासपुर के सरकारी मेडिकल कॉलेज सिम्स (CIMS) में एक मरीज का ऑपरेशन नहीं हो पा रहा है. डॉक्टरों ने बिना बॉम्बे ग्रुप के खून का प्रबंध किए ऑपरेशन करने से हाथ खड़े कर दिए हैं.

हफ्तेभर से ऑपरेशन टाला जा रहा है. 10 दिन पहले एक हादसे में पीड़ित युवक के पैर की हड्डी टूट गई थी. जानकारी के मुताबिक, बिलासपुर के पेंड्रा इलाके के रहने वाले 19 साल का दुर्गेश भरिया नामक छात्र हादसे का शिकार हुए था. उसे स्थानीय अस्पताल में दाखिल कराया गया.

स्थानीय अस्पताल से उसे प्राथमिक इलाज के बाद बिलासपुर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया. यहां उसके ऑपरेशन की पूरी तैयारी की गई. लेकिन डॉक्टर उस समय सकते में आ गए जब उसका ब्लड सैंपल बॉम्बे ग्रुप पाया गया. इस ग्रुप का रक्त नहीं मिलने के कारण डॉक्टरों ने ऑपरेशन स्थगित कर दिया. फिलहाल यह छात्र 10 दिनों से बिस्तर पर पड़ा है.

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उसके परिजनों ने बॉम्बे ग्रुप के व्यक्तियों की खोजबीन की, लेकिन उन्हें इस ग्रुप का कोई व्यक्ति नहीं मिला. हालांकि, कुछ डॉक्टरों ने बताया कि इस ब्लड ग्रुप के राज्य में मात्र 10 व्यक्ति ही हैं, लेकिन उनका पता-ठिकाना डॉक्टर नहीं दे पाए.

डॉक्टरों के मुताबिक यह बेहद दुर्लभ ब्लड ग्रुप है. पहली बार 1952 में इस ब्लड ग्रुप का पता चला था. उनके मुताबिक इस ब्लड ग्रुप के मरीज को दूसरे किसी ग्रुप का ब्लड नहीं चढ़ाया जा सकता. फिलहाल बॉम्बे ब्लड ग्रुप डोनर की तलाश जारी है.

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