महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत निर्माण कार्यो में मजदूरी करने वाली गर्भवती महिलाओं को एक महीने के मातृत्व भत्ते के साथ प्रसूति अवकाश देने की योजना पर छत्तीसगढ़ में अमल शुरू हो गया है.
मनरेगा में इस तरह का जनकल्याणकारी प्रावधान करने वाला छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है. मुख्यमंत्री रमन सिंह ने इस प्रावधान की घोषणा विधानसभा के पिछले सत्र में की थी. घोषणा के अनुरूप प्रदेश के जल संसाधन मंत्री रामविचार नेताम ने जिला मुख्यालय दुर्ग के कलेक्टरेट स्थित सभाकक्ष में शुक्रवार को इस प्रावधान का शुभारंभ किया. उन्होंने दुर्ग विकासखंड की पांच महिला श्रमिकों को प्रतीक स्वरूप चार हजार 380 रुपये के चेक भेंट कर पूरे प्रदेश में इस प्रावधान के लागू किए जाने का ऐलान किया.
इस मौके पर नेताम ने बताया कि मनरेगा में कार्यरत छह से नौ माह तक गर्भवती महिला श्रमिकों को मातृत्व लाभ योजना के तहत तीस दिन की मजदूरी का भगुतान संबंधित जनपद पंचायत के माध्यम से किया जाएगा. यह लाभ उसे प्रसव होने के एक माह बाद भी मिल सकेगा. उन्होंने बताया कि शर्त यह है कि संबंधित महिला का नाम मनरेगा के पंजीकृत परिवारों के जॉब कार्ड में दर्ज होना चाहिए.
इसके अलावा यह भी जरूरी है कि आवेदित महिला द्वारा मनरेगा में एक वर्ष में कम से कम 15 दिन कार्य किया गया हो.
जल संसाधन मंत्री ने बताया कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में राज्य सरकार ने मनरेगा में श्रमिकों को एक वर्ष में पचास अतिरिक्त दिनों का रोजगार देने का भी निर्णय लिया है. इस निर्णय के अनुरूप अब छत्तीसगढ़ में मनरेगा श्रमिकों को सालाना डेढ़ सौ दिनों का रोजगार मिलेगा, जबकि केंद्र सरकार की इस योजना में केवल एक सौ दिनों के वार्षिक रोजगार का प्रावधान है.
योजना के तहत पचास अतिरिक्त दिनों के रोजगार की मजदूरी का भुगतान छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा अपने बजट से किया जाएगा. इस अवसर पर अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष डोमनलाल कोसेर्वाड़ा, विधायक भजन सिंह निरंकारी, नगर निगम दुर्ग के महापौर डॉ. शिवकुमार तमेर, कलेक्टर बृजेश चंद्र मिश्रा और जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी अयाज फकीर भाई तंबोली सहित अन्य अधिकारी, कर्मचारी तथा जनप्रतिनिधि उपस्थित थे.