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तीन तलाक के खिलाफ एकजुट हुईं मुस्लिम महिलाएं, हक के लिए सड़कों पर उतरने की तैयारी

छत्तीसगढ़ के 29 में से 22 जिलों की मुस्लिम महिला नेताओं ने केंद्र सरकार के समर्थन में अपनी आवाज बुलंद की है. ये महिलाएं हस्ताक्षर अभियान छेड़ कर उन मौलवियों और उलेमाओं को अपने मांग पत्र के जरिए उन हालातों से रूबरू कराएंगी, जिसमें ट्रिपल तलाक के चलते उनकी खराब होती सामाजिक और पारिवारिक स्थिति का पूरा ब्यौरा होगा.

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एकजुट हुईं मुस्लिम महिलाएं
एकजुट हुईं मुस्लिम महिलाएं

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छत्तीसगढ़ में मुस्लिम महिलाओं ने तीन तलाक के मुद्दे पर उन उलेमाओं और मौलवियों को आड़े हाथों लिया है, जो इसकी मुखालफत कर रहे हैं. मुस्लिम महिलाओं की मांग है कि उन्हें भी बराबरी का हक जल्द मिले. इसके लिए विधि आयोग और केंद्र सरकार ठोस कदम उठाए.

खराब है मुस्लिम महिलाओं की सामाजिक स्थिति
महिलाओं के मुताबिक शरिया कानून के तहत तीन तलाक के चलते उनकी सामाजिक स्थिति बेहद खराब है. घर परिवार से लेकर बाहर तक उन्हें इस बात का डर सताता है कि वो कहीं तीन तलाक का शिकार ना हो जाएं. राज्य भर से जुटी मुस्लिम महिला प्रतिनिधियों ने एक बैठक कर केंद्र सरकार के कदम की प्रशंसा की है. जल्द ही ये महिलाएं पूरे राज्य में ट्रिपल तलाक के खिलाफ अभियान छेड़ेंगी.

तीन तलाक पर तत्काल खारिज हो शरीयत कानून
छत्तीसगढ़ के 29 में से 22 जिलों की मुस्लिम महिला नेताओं ने केंद्र सरकार के समर्थन में अपनी आवाज बुलंद की है. ये महिलाएं हस्ताक्षर अभियान छेड़ कर उन मौलवियों और उलेमाओं को अपने मांग पत्र के जरिए उन हालातों से रूबरू कराएंगी, जिसमें ट्रिपल तलाक के चलते उनकी खराब होती सामाजिक और पारिवारिक स्थिति का पूरा ब्यौरा होगा. इन महिलाओं की दलील है कि शरीयत कानून के प्रावधानों को तत्काल खारिज किया जाना चाहिए. यही नहीं मौलवियों से यह भी कहा गया है कि वो तीन तलाक की हकीकत से समाज के प्रमुख लोगों को अवगत कराएं, ताकि इसके खिलाफ किसी तरह का दुष्प्रचार ना हो. राज्य भर से जुटी ये महिलाएं अपने-अपने इलाकों में जा कर समान अधिकारों की मांग को लेकर अपने समुदाय की महिलाओं को समझाएंगी.

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अपने हक के लिए सड़कों पर उतरेंगी महिलाएं
छत्तीसगढ़ में ट्रिपल तलाक को लेकर आयोजित महिलाओं की इस बैठक में कई राजनैतिक दलों के नेताओं के अलावा समाज के प्रमुख लोग भी शामिल हुए. मुस्लिम पुरुषों ने भी ट्रिपल तलाक को गैर वाजिब ठहराया. उनके मुताबिक मुस्लिम देशों में भी शरीयत कानूनों के बजाए संवैधानिक कानूनों को तवज्जो दी गई है. इसके चलते विदेशों में मुस्लिम महिलाओं की सामाजिक स्थिति भारतीय महिलाओं की तुलना में बेहतर है. मुस्लिम महिला प्रतिनिधियों की इस बैठक की चर्चा पुरे राज्य में हो रही है. यह पहला मौका है, जब अपने हक को लेकर मुस्लिम महिलाएं सड़कों पर उतरने की तैयारी कर रही हैं.

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