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छत्तीसगढ़ , महाराष्ट्र और MP की सरहद पर मिली नक्सलियों की हथियार फैक्ट्री, मिले कई घातक हथियार

पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों की एक टीम सर्चिंग के दौरान भाबे से होते हुए घोडापाठ के जंगलो में दाखिल हो रही थी. यह इलाका मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले के जंगलों से सटा हुआ है. सुरक्षाकर्मी जब पहाड़ी पर दाखिल हुए तो उन्हें एक स्थान पर पत्थरों का टीला दिखाई दिया. सुरक्षा बलों को यह टीला संदेहास्पद नजर आया.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

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छत्तीसगढ़ , मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा पर नक्सलियों के हथियार बनाने और उसे मरम्मत करने वाले चलते-फिरते कारखाने पर पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों ने दबिश दी है. ITBP और छत्तीसगढ़ पुलिस के ज्वॉइंट ऑपरेशन में मध्यप्रदेश की सीमा पर राजनादगांव के निकट स्थित भाबे के जंगलो में सुरक्षा बलों एक ऐसे डंप को खोज निकाला जिसके भीतर बड़े पैमाने पर हथियार बनाने वाली मशीनें और कई उपकरण रखे गए थे . पुलिस ने इस डंप से कई ऐसी मशीनें अपने कब्जे में ली हैं जिससे आधुनिक हथियारों को रिपेयर किया जाता है. देसी तमंचे, पिस्टल और बंदूक बनाने वाली आठ मशीनें जब्त की गई हैं. नक्सलियों ने इस डंप को पहाड़ियों के एक छोर में छिपाया हुआ था. किसी की नजर इस डंप पर ना पड़े इसके लिए उसे पत्थरों से ढंक दिया गया था.

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पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों की एक टीम सर्चिंग के दौरान भाबे से होते हुए घोडापाठ के जंगलो में दाखिल हो रही थी. यह इलाका मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले के जंगलों से सटा हुआ है. सुरक्षाकर्मी जब पहाड़ी पर दाखिल हुए तो उन्हें एक स्थान पर पत्थरों का टीला दिखाई दिया. सुरक्षा बलों को यह टीला संदेहास्पद नजर आया. उन्होंने जब पड़ताल की तो एक बड़ा डंप दिखाई दिया. इसके भीतर कई तरह के हथियार बनाने के उपकरण, बिजली के तार, एसएलआर ट्रिगर, लेथ मशीन, ड्रिल मशीन और बंदूक के बैरल दिखाई दिए.

दुर्ग रेंज के आई.जी. दीपांशु काबरा के मुताबिक बरामद की गई सामग्री का इस्तेमाल नक्सली बतौर मोबाइल वर्कशॉप की तरह करते हैं. वो जंगल के भीतर के गुप्त स्थानों में इन मशीनों के जरिए देशी हथियारों का निर्माण करते हैं. यही नहीं जो मशीनें बरामद की गई हैं उससे जाहिर होता है कि ऑटोमेटिक वेपन को भी रिपेयर करने के लिए उन्होंने संसाधन जुटा लिए हैं.

दीपांशु काबरा ने बताया कि नक्सली दल जहां कहीं भी अपने ठिकाने बनाते हैं और कैंप लगाते हैं वहां इस तरह के चलित कारखाने भी स्थापित करते हैं. फिलहाल इस चलित कारखाने को अपने कब्जे में लेने के बाद सुरक्षा बलों ने जंगल के एक बड़े हिस्से में अपने कदम बढ़ाने शुरू कर दिए हैं.

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