छत्तीसगढ़ में प्रतिबंधित नक्सली संगठनों ने अब नेपाल और बांग्लादेश से अपनी विचारधारा का प्रचार प्रसार शुरू कर दिया है. नक्सलियों ने बांग्लादेश और नेपाल से वेबसाइट भी शुरू की है. पीपल्स वार, जनक्रांति, प्रभात, पीपल्स ट्रूथ नामक वेबसाइट के जरिए नक्सली नेताओं और नौजवानों को देश के खिलाफ बगावत करने के लिए उकसा रहे हैं. देश के 13 राज्यों में माओवाद की जड़ें काफी मजबूत हैं. इनमें से छत्तीसगढ़ एकमात्र ऐसा राज्य है जहां नक्सलिओं के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई हुई है.
आईपी एड्रेस के जरिये नक्सलियों को पकड़ेगी पुलिस
यहां लगे प्रतिबंध के बाद नक्सली नेताओं ने नए ठिकाने बांग्लादेश और नेपाल में तलाश लिए हैं, यहां से वो नौजवानों को नक्सलवाद से जुड़ने के लिए दलील दे रहे हैं. पुलिस नक्सली मुठभेड़ का मामला हो या फिर विकास का, हर एक मामले में वो देश विरोधी बयानों और विचारों को व्यक्त कर बगावत के लिए उकसा रहे हैं. आईपी एड्रेस के जरिए राज्य की पुलिस ने वेबसाइटों का ब्योरा तैयार किया है. जल्द ही इसे केंद्रीय गृह मंत्रालय को सौंपा जाएगा. बता दें कि करीब आठ भाषाओं में चल रही इन वेबसाइटों को बंद कराने के लिए छत्तीसगढ़ पुलिस ने अपनी तैयारी की है.
अपनी विचारधारा का तेजी से प्रचार प्रसार करने के लिए नक्सलियों ने अपनी वेबसाइट को फेसबुक, ट्विटर और दूसरी सोशल साइटों से अटैच किया है. भारतीय नौजवानों के अलावा अफगानिस्तान, अल्बानिया, ब्राजील, ब्रिटेन, कोरिया, मोरक्को, इंडोनेशिया, बांग्लादेश और नेपाल के कई लोग इन वेबसाइटों से जुड़ते चले जा रहे हैं. देश के कई राज्यों के नौजवान भी इसमें सक्रिय हैं.
भारत सरकार की गतिविधियां हो या फिर माओवाद प्रभावित इलाकों में विकास का काम या फिर एंटी नक्सल ऑपरेशन हर एक मसलों पर नक्सली विचारधारा से ओत-प्रोत वक्तव्य इन वेबसाइटों में छाए हुए हैं. प्राथमिक जांच में यह बात सामने आई है कि सरकार के कड़े रुख के चलते नक्सलियोें ने विदेशो में अपना ठिकाना बनाया हुआ है. सम्भव है इन वेबसाइटों के जरिए नक्सली अपनी आर्थिक जड़े भी मजबूत कर रहे हों. फिलहाल पुलिस ने अपने स्तर पर कार्रवाई शुरू कर दी है.