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सुरक्षा बलों की कार्रवाई के डर से नक्सलियों ने एंटी एयरक्राफ्ट गन से ट्रेनिंग शुरू की

छत्तीसगढ़ में नक्सलियों ने सरकार के साथ किसी भी तरह की शांतिवार्ता या फिर बातचीत के रास्ते को खारिज कर दिया है. सुरक्षा बलों की कार्रवाई से बचने के लिए उन्होंने एंटी एयरक्राफ्ट गन से ट्रेनिंग शुरू कर दी है. उधर सुरक्षा बल नक्सलियों को मुंहतोड़ जवाब देने को तैयार हैं.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

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छत्तीसगढ़ में नक्सलियों ने सरकार के साथ किसी भी तरह की शांतिवार्ता या फिर बातचीत के रास्ते को खारिज कर दिया है. सुरक्षा बलों की कार्रवाई से बचने के लिए उन्होंने एंटी एयरक्राफ्ट गन से ट्रेनिंग शुरू कर दी है. उधर सुरक्षा बल भी नक्सलियों को मुंहतोड़ जवाब देने को तैयार हैं.

नक्सली नेताओं ने साफ़ कर दिया है कि वो हथियार के बल पर ना केवल क्रांति लाएंगे बल्कि दण्डकारण्य राज्य की स्थापना करके रहेंगे. नक्सलियों की सेंट्रल कमिटी ने छत्तीसगढ़ सरकार या फिर केंद्र से किसी भी तरह की बातचीत से इंकार किया है. उनके मुताबिक संघर्ष ही एक मात्र रास्ता है, जिसके जरिये वो हथियारबंद लड़ाई के पक्ष में है. उधर बस्तर में पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों ने नक्सलियों के प्रभाव वाले इलाकों में मोर्चा संभाल लिया है. बस्तर से सटे तेलंगाना और आंध्र प्रदेश एवं ओडिसा और महाराष्ट की सरहद पर नक्सलियों की घेराबंदी शुरू दी गयी है.

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सुकमा में लगातार दो बार CRPF पर बड़े हमले के बाद नक्सलियों के हौसले बुलंद हैं. पुलिस और केंद्रीय सुरक्षाबलों के अचानक होने वाले हमलों और सर्जिकल स्ट्राइक का जवाब देने के लिए नक्सली अपने आप को तैयार कर रहे हैं. सेंट्रल कमेटी को अंदाजा था कि पुलिस और केंद्रीय सुरक्षाबलों के जवान उन पर सर्जिकल स्ट्राइक जैसी कार्रवाई कर सकते हैं. लिहाजा उन्होंने एंटी एयरक्राफ्ट गन का भी जुगाड़ कर लिया है और अब इस तरह के प्रशिक्षण से अपने कैडर को ताकतवर बना रहे हैं. उनके इस प्रशिक्षण से पुलिस भी पशोपेस में है. उसके पास नक्सलियों के इस प्रशिक्षण का कोई जवाब नहीं है.

नक्सलियों को सबक सिखाने के लिए बेताब है जवान
छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के तमाम दावों को नेस्तनाबूत करने के लिए पुलिस और केंद्रीय सुरक्षाबलों के जवानों ने भी कमर कस ली है. वो न केवल सुकमा हमले का मुहतोड़ जवाब देना चाहते हैं, बल्कि पिछला हिसाब-किताब भी चुकता करना चाहते हैं. CRPF पर लगातार हुए हमलों से सबक लेकर पुलिस और केंद्रीय सुरक्षाबलों के जवान नई रणनीति के तहत जंगल में नक्सि‍लयों की घेराबंदी में जुटे हुए हैं.

इस बार सधे हुए कदमों से जंगल के भीतर सुरक्षा बलों के कदम उस ओर बढ़ रहे है, जिस ओर नक्सलियों के छिपे होने की सम्भावनाएं हैं. एंटी नक्सली ऑपरेशन के लिए लगातार ग्रामीणों को भी सतर्क किया जा रहा है, ताकि मुठभेड़ के दौरान न तो वो अब नक्सलियों की ढाल बनें और न ही फ़ोर्स के मूवमेंट से जुड़ी किसी भी तरह की सूचनाएं नक्सलियों तक पहुचाएं.

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पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों को नक्सलियों पर सीधे हमले के लिए फ्री हैण्ड भी दिया गया है. हालांकि उन्हें यह भी हिदायत दी गयी है कि गोलीबारी के दौरान आम ग्रामीणों की जानमाल की भी रक्षा की जाए. सरकार ने बस्तर के पंच सरपंचो से लेकर जन प्रतिनिधियों तक से रायशुमारी की है. उन्हें उनके इलाको में कराये गए विकास के कार्यों से वाकिफ भी कराया है. साथ ही नक्सलियों से दूरियां बनाये रखने के निर्देश भी दिए है. सरकार की दलील है कि नक्सलियों की करतूतों से ग्रामीणों का मोहभंग भी हुआ है.

मूवमेंट ऑर्डर मिलने के बाद STF, पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों के जवानों ने अपने बैरकों से निकल कर कुछ ख़ास इलाकों में सैनिटेशन का काम शुरू किया है. इन जवानों ने जंगल, आम रास्तों और आवाजाही के भीतरी रास्तो में बारूदी सुरंगो और प्रेशर बमों को ढूंढ निकालने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है.

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