scorecardresearch
 

एक ऐसा रेस्टारेंट जहां वर्दीधारी सैनिकों को कराया जाता है मुफ्त भोजन!

रायपुर में एक ऐसा रेस्टारेंट है जहां कोई सैनिक यदि वर्दी में खाना खाने आता है तो उसे मुफ्त में खाना खिलाया जाता है. सिविल यूनिफार्म में खाना खाने आने वाले सैनिकों को आईकार्ड दिखाने पर 50 फीसदी छूट दी जाती है.

Advertisement
X
नीलकंठ रेस्टोरेंट
नीलकंठ रेस्टोरेंट

Advertisement

रायपुर में एक ऐसा रेस्टारेंट है जहां कोई सैनिक यदि वर्दी में खाना खाने आता है तो उसे मुफ्त में खाना खिलाया जाता है. सिविल यूनिफार्म में खाना खाने आने वाले सैनिकों को आईकार्ड दिखाने पर 50 फीसदी छूट दी जाती है. जबकि शहीद सैनकों के परिजनों को मुफ्त में भोजन मुहैया कराने का बंदोबस्त किया गया है.

रायपुर के इस रेस्टारेंट में सैनिकों और भारतीय सेना के जवानों के लिए भोजन पानी का खासा बंदोबस्त किया गया है. ये रेस्टारेंट आम रेस्टारेंट की तरह ही है. जहां सैनिकों के अलावा सामान्य लोगों की भी एंट्री होती है. लेकिन, सैनिकों के लिए खास सुविधाएं मुहैया कराए जाने को लेकर ये रेस्टारेंट आम रेस्टारेंट से कुछ अलग है.

भारतीय सेना के वीर जवानों से लेकर शहीद सैनिकों के परिजनों के लिए इस रेस्टारेंट में रियायती दरों पर भोजन उपलब्ध है. यदि कोई सैनिक भोजन करने आए तो उसे भोजन में 25 से 50 प्रतिशत तक की छूट दी जाती है. साथ ही देश के लिए शहीद होने वाले सैनिकों के परिजनों से एक पैसा भी नहीं लिया जाता. रेस्टॉरेंट के मुख्य द्वार पर बाकायदा इसकी सूचना चस्पा की गई है. बिल में छूट देने का एकमात्र उद्देश्य सैनिकों और उनके परिजनों को सम्मान देना है. सैनिकों के लिए की जा रही इस सेवा के चलते कई लोग यहां खाना खाने आ रहे हैं.

Advertisement

इस रेस्टारेंट में 'आज तक' की टीम भी पहुंची. इस दौरान उन्हें भुवनेश साहू और उनकी बहन अंजू खाना खाते हुए मिलीं. जब उनसे बातचीत हुई तो उन्होंने बताया कि वो खासतौर पर यहां इसलिए खाना खाने आई हैं क्योकि यह रेस्टारेंट हमारे भारतीय सेना के जवानों को समर्पित है.

दरअसल इस रेस्टारेंट का मालिक सेना में शामिल होना चाहता था, लेकिन किन्हीं कारणों से वो सेना में भर्ती नहीं हो पाया. लिहाजा उसे विचार आया कि क्यों न वो अपने इस रेस्टारेंट के जरिए सैनिकों की कुछ सहायता कर सके.

रेस्टॉरेंट के संचालक मनीष दुबे बताते हैं कि मीडिया में अक्सर सैनिकों के शहीद होने की खबरें पढ़ने-सुनने को मिलती हैं. जिससे शहीदों और उनके परिजनों के प्रति दिल में सम्मान की भावना पैदा होती है. हम जैसे आम लोग सीमा पर देश की सेवा तो नहीं कर सकते लेकिन सैनिकों के प्रति मन में आदर, प्यार, सम्मान की भावना अवश्य होती है.

मनीष के मुताबिक वो शुरू-शुरू में भोजन कराने के बदले सैनिकों से पैसे नहीं लेते थे. लेकिन इससे सैनिकों के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचती थी. इस दौरन यहां भोजन करने वाले कुछ सैनिकों ने उन्हें राय दी कि वे सैनिकों का सम्मान ही करना चाहते हैं तो कुछ प्रतिशत की छूट दे दो. इससे सैनिकों का आत्मसम्मान भी सुरक्षित रहेगा और उन्हें भी संतुष्टि मिलेगी. इसके बाद उन्होंने सैनिकों और उनके परिजनों के लिए खाने-पीने की तमाम चीजों पर रियायत देना शुरू कर दिया.

Advertisement
Advertisement