रक्षा मंत्री एके एंटनी ने साफ तौर पर कह दिया है कि नक्सलिय़ों के खिलाफ सेना का इस्तेमाल नहीं होगा. उन्होंने कहा कि सेनाएं जमीन पर पुलिसकर्मियों को पूरा सहयोग मुहैया करा रही हैं और वायु सेना नक्सल प्रभावित इलाकों में रात में भी अपने हेलीकॉप्टरों का संचालन कर रही है.
यह पूछे जाने पर कि क्या शनिवार को छत्तीसगढ़ में हुए हमले की तीव्रता को देखते हुए नक्सल विरोधी अभियानों में सेना तैनात करने के लिए यह उचित समय है, एंटनी ने कहा, ‘इस तरह का कोई प्रस्ताव नहीं है. हम सीधे तौर पर शामिल हुए बिना अपनी सहायता देते हैं.’ रक्षा मंत्रालय नक्सल विरोधी अभियानों में सेना और वायुसेना की तैनाती के विरोध में रहा है.
एंटनी ने कहा कि सेनाएं ‘पूरी सहायता मुहैया करा रही हैं. वास्तव में इस हादसे के होने से पहले, वायुसेना के हेलीकॉप्टर रात के समय उड़ रहे थे. हम हमेशा मदद करते रहे हैं. नक्सल हमले पर मंत्री ने कहा, ‘भारत एक लोकतंत्र है, यहां प्रक्रिया है, यहां संस्थान हैं और यहां हर तबके के लिए अपनी शिकायतें व्यक्त करने के तरीके और अवसर हैं लेकिन इस तरह की हिंसा स्वीकार्य नहीं है.’
इस बीच सरकारी सूत्रों ने कहा कि नेताओं को सुरक्षा उपलब्ध कराने और नक्सल-विरोधी अभियानों के लिए और अधिक सुरक्षा बलों की छत्तीसगढ़ सरकार की मांग पर यह फैसला किया गया. उन्होंने कहा कि एक या दो दिन में ये अतिरिक्त जवान राज्य में तैनात होंगे. छत्तीसगढ़ में नक्सल विरोधी अभियानों के लिए अर्धसैनिक बल के लगभग 30 हजार जवान पहले से ही तैनात हैं.
माओवादी हिंसा से बुरी तरह प्रभावित राज्यों में से छत्तीसगढ़ भी एक है. पिछले आठ साल में यहां 1900 लोग माओवादी हिंसा में अपनी जान गंवा चुके हैं. इनमें से 570 आम लोग, 700 सुरक्षाकर्मी और बाकी नक्सल कैडर हैं.
हथियारबंद माओवादियों ने शनिवार को बस्तर जिले में कांग्रेसी नेताओं के काफिले पर हमला किया था. इस हमले में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पटेल, उनके बेटे दिनेश, कांग्रेस नेता महेंद्र कर्मा, पूर्व विधायक उदय मुद्लियार समेत कुल 27 लोग मारे गए और पूर्व केंद्रीय मंत्री वीसी शुक्ल समेत 32 अन्य घायल हो गए.