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छत्तीसगढ़ के दुर्ग में करोड़ों का पेंशन घोटाला, कई पार्षदों पर शक की सुई

घोटाले को अंजाम देने के लिए 30-35 साल उम्र की कई महिलाओं को दस्तावेजों में बुजुर्ग दिखाया गया. पेंशनधारकों की फेहरिस्त में कई ऐसे करीब ढाई हजार बुजुर्गों को भी शामिल किया गया जो स्वर्ग सिधार चुके हैं.

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छत्तीसगढ़ के दुर्ग में करोड़ों का पेंशन घोटाला
छत्तीसगढ़ के दुर्ग में करोड़ों का पेंशन घोटाला

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छत्तीसगढ़ के दुर्ग में घोटालेबाजों ने बुजुर्गों को मिलने वाली पेंशन को भी नहीं बख्शा. यहां पेंशन के वितरण में लाखों के घोटाले का पर्दाफाश हुआ है. जानकारी के मुताबिक नगर निगम के कुछ पार्षद मिलीभगत से करीब साढ़े चार साल तक पेंशन को मोटी रकम जेब में डालते रहे.

ऐसे हुआ घोटाला
केंद्र सरकार सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के तहत बुजुर्गों को हर महीने 300 रुपये देती है. घोटाले को अंजाम देने के लिए 30-35 साल उम्र की कई महिलाओं को दस्तावेजों में बुजुर्ग दिखाया गया. पेंशनधारकों की फेहरिस्त में कई ऐसे करीब ढाई हजार बुजुर्गों को भी शामिल किया गया जो स्वर्ग सिधार चुके हैं. हर महीने इनके फर्जी दस्तखत और अंगूठे के निशान फाइलों में दर्ज होते रहे और इनके नाम पर बंटने वाली पेंशन भ्रष्ट पार्षद हड़पते रहे.

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कैसे खुली पोल?
घोटाले की पोल तब खुली जब कई पार्षद निगम की मीटिंग के दौरान नोट लहराते नजर आए. नोटबंदी के दौर में इस हरकत से अधिकारियों की त्योरियां चढ़ीं. जल्द ही मामला कमिश्नर के नोटिस में आया और शुरुआती जांच से सच सामने आ गया.

क्या बच जाएंगी बड़ी मछलियां?
घोटाले के संदिग्धों में सत्ताधारी और विपक्ष दोनों के पार्षद शामिल हैं. लेकिन गाज सिर्फ उस बाबू पर गिरी जिसके दस्तखत से पेंशन की रकम जारी होती थी. माना जा रहा है कि सियासी रसूख के चलते तमाम पार्षद बच गए. हालांकि अब निगम प्रशासन ने मामले को पुलिस के सुपुर्द कर दिया है.

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