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जहां गरीबी नहीं बनती है कामयाबी में बाधा...

कुमारी नबीना कश्यप का डॉक्टर बनना अब तय है. नबीना राष्ट्रीय योग्यता प्रवेश परीक्षा (नीट) की परीक्षा में पास हो गई है. वह एक सफल डॉक्टर बनकर छत्तीसगढ़ की सेवा करना चाहती है. अनुसूचित जनजाति वर्ग की इस बालिका ने यह गौरवशाली उपलब्धि रायपुर के 'प्रयास' संस्था में रहकर हासिल की है, जहां स्कूली पढ़ाई के साथ-साथ प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए विषय विशेषज्ञों का मार्गदर्शन मिलता है.

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डॉ. रमन सिंह
डॉ. रमन सिंह

कुमारी नबीना कश्यप का डॉक्टर बनना अब तय है. नबीना राष्ट्रीय योग्यता प्रवेश परीक्षा (नीट) की परीक्षा में पास हो गई है. वह एक सफल डॉक्टर बनकर छत्तीसगढ़ की सेवा करना चाहती है. अनुसूचित जनजाति वर्ग की इस बालिका ने यह गौरवशाली उपलब्धि रायपुर के 'प्रयास' संस्था में रहकर हासिल की है, जहां स्कूली पढ़ाई के साथ-साथ प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए विषय विशेषज्ञों का मार्गदर्शन मिलता है.

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नबीना ने भी इस सुनहरे अवसर का लाभ उठाया और नीट की परीक्षा पास कर ली. नबीना शुक्रवार को मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह द्वारा प्रयास संस्था के सफल बच्चों और विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता प्राप्त करने वाले बच्चों के लिए उनके निवास में आयोजित सम्मान समारोह में शामिल होने आई थी.

बस्तर जिले के ग्राम बेलर की रहने वाली नबीना ने बताया कि वह एक गरीब परिवार से है. उसके पिता किसान हैं. पिता की आमदनी कभी इतनी नहीं थी कि वे उसे अच्छी शिक्षा दिला पाते. अगर राज्य शासन से सहयोग नहीं मिलता तो पढ़ाई में यहां तक पहुंचना असंभव था.

गरीबी के बावजूद उसके पिता हमेशा उसे आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते रहे हैं. कक्षा पहली से लेकर 10 तक की पढ़ाई नबीना ने माता रुक्मणी शासकीय कन्या आश्रम डिमरापाल (जगदलपुर) में पूरी की. इसके बाद वह आगे की पढ़ाई के लिए रायपुर स्थित आवासीय शैक्षिक संस्था 'प्रयास' आ गई.

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नवीना ने कहा कि क्षेत्रवासियों को अच्छे इलाज कराने के लिए शहर जाना पड़ता है, क्योंकि उस क्षेत्र में डॉक्टरों की कमी है. इससे उन्हें कई परेशानियां उठानी पड़ती हैं. नवीना कहती है, 'मैं बस्तर अंचल के जरूरतमंदों की सेवा के लिए डॉक्टर बनना चाहती हूं.'

नवीना ने कहा कि कॉलेज के विद्यार्थियों को उनकी पढ़ाई के लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा लैपटॉप और टैबलेट वितरण की योजना बहुत अच्छी है. उसने कहा कि डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए लैपटॉप और टैबलेट काफी सहायक होने के साथ आज के आधुनिक तकनीक और प्रगतिशील युग में जरूरी भी है.

नबीना की तरह प्रयास में अध्ययनरत कुमारी मानकुंवर सिंह, प्रेमा कुजुर और देवकुंवर जगते भी गरीब परिवार की हैं, लेकिन इन सभी बच्चियों के बड़े-बड़े सपने हैं. ये सभी प्रतिभावान छात्राएं हैं. विश्रामपुर की मानकुंवर ने छठी से आठवीं तक की पढ़ाई शासकीय कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय और 9वीं-10वीं की पढ़ाई शासकीय कन्या शिक्षा परिसर, अंबिकापुर से पूरी की है.

अब वह 'प्रयास' में 12वीं कक्षा के साथ आईआईटी परीक्षा की तैयारी कर रही है. वह इंजीनियर बनकर अपने माता-पिता का नाम रोशन करना चाहती है. इसी तरह बलरामपुर (लावा) की देवकुंवर और सरगुजा (उदयपुर) की प्रेमा कुजूर डॉक्टर बनने के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही है.

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