छत्तीसगढ़ में लगातार नक्सली हमलों के बाद मुख्यमंत्री रमन सिंह निशाने पर हैं. बीजेपी के अंदर ही उनका विरोध बढ़ता जा रहा है. 10 दिसंबर को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह रायपुर पहुंचकर पार्टी विधायकों से मुलाकात करेंगे.
अंग्रेजी अखबार 'द इकोनॉमिक टाइम्स' में छपी खबर के मुताबिक, पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, 'हो सकता है कि आने वाले हफ्तों में कोई बदलाव न किया जाए, लेकिन मुख्यमंत्री को इस बारे में एक संदेश जरूर दिया जाएगा.' सुकमा ऑपरेशन में ड्रोन ने दिया धोखा!
कांग्रेस ने भी मंगलवार को लोकसभा में रमन सिंह सरकार की बर्खास्तगी की मांग की. गौरतलब है कि सुकमा में सोमवार को हुए नक्सली हमले में 13 जवान शहीद हो गए थे. माओवादी हिंसा रोक पाने में रमन सिंह की नाकामी उनके खिलाफ उठ रहे मुद्दों में बीजेपी के लिए सबसे ऊपर है. गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने राज्य की राजधानी का दौरा किया और मुख्यमंत्री पर हो रहे हमलों की धार कम करने की कोशिश की. उन्होंने कहा, 'नक्सल हिंसा एक राष्ट्रीय समस्या है. केंद्र और राज्य मिलकर इस मुसीबत से निपटेंगे.'
हालांकि, पार्टी के भीतर रमन सिंह के खिलाफ आवाज उभरने लगी है और कई विधायक और कार्यकर्ता उनसे नाराज हैं. बीजेपी नेता ने बताया, 'प्रदेश के दूसरे राजनीतिक मसले हटा दें, तो मुख्यमंत्री का बचाव कर पाना मुश्किल हो रहा है क्योंकि वह कानून-व्यवस्था को नियंत्रित नहीं कर पा रहे हैं. पहले, वह केंद्र पर आरोप लगा देते थे, जब यूपीए सरकार थी, लेकिन अब यह दिक्कत भी नहीं रही.'
अखबार ने पार्टी के सूत्रों के हवाले से लिखा है कि पहले रमन सिंह को लेकर आरएसएस का रवैया तटस्थता वाला था, लेकिन बार-बार नक्सली हमलों के बाद संघ का रुख भी कड़ा हो गया है. सुरक्षा बलों में सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने भी रमन सिंह से बात की है और उनसे सुकमा ऑपरेशन के बारे में एक विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. यह पहला मौका नहीं है जबकि माओवादियों ने राज्य को हिलाकर रख दिया है. इसी जिले में चिंतलनार के पास 2010 में 76 सीआरपीएफ जवानों को माओवादियों के हमले में जान से हाथ धोना पड़ा था.