छत्तीसगढ़ में राज्य की कैबिनेट ने एक बड़ा फैसला लिया है. शराब पीकर गाड़ी चलाने, मारपीट करने और अवैध रूप से शराब का परिवहन करने से जुड़े लगभग 2 हजार मामले सरकार वापस लेने जा रही है. सरकार का मानना है कि ये इस तरह के मामले हैं कि आरोपियों को कमोवेश एक बार तो माफ कर देना चाहिए. मंत्रीमंडल ने आबकारी ऐक्ट और IPC के तहत दर्ज मामलों पर बाकायदा विचार विमर्श करने के बाद इन्हें वापस लेने का फैसला किया है.
सरकार के फैसले का कांग्रेस ने किया विरोध
वहीं छत्तीसगढ़ सरकार इस फैसले से मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस इसे बीजेपी के दोहरे मापदंड का सीधा उदहारण बताते हुए उसकी कथनी और करनी पर सवालिया निशान लगा रही है. पार्टी ने साफतौर पर कहा है कि सरकार के इस फैसले से ना केवल शराबियों को बढ़ावा मिलेगा. कांग्रेस महासचिव रमेश वर्लियानी ने दावा किया है कि इससे शराबियों का आतंक बढ़ेगा, क्योंकि शराब को लेकर प्रदेश सरकार दोहरे मापदंड अपना रही है. उन्होंने कहा कि एक तरफ भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि सड़क की दुघटनाएं जो होती हैं वो शराब के कारण होती है. इसके लिए भारी पैनल्टी लगाई जाएगी और दूसरी ओर रमन सरकार शराब से होने वाली दुर्घटनाओं को आम माफी देने जा रही है.
सरकार की सफाई
इस बीच सरकार की ओर से जल्द ही इस आम माफी की सूचना अदालत को भेज दी जाएगी. यह एक ऐसा अनोखा फैसला है जब केंद्र सरकार ने ड्रिंक एंड ड्राइव जैसे मामलों से सख्ती से निपटने के लिए कड़े कानूनी प्रावधान किए हैं. ऐसे कानूनों को धत्ता बताकर राज्य सरकार ने इस आम माफीनामे को लेकर अपना तर्क दिया है. राज्य के आबकारी मंत्री अमर अग्रवाल का कहना है कि इससे शराबियों को बढ़ावा नहीं मिलेगा, उनके मुताबिक आरोपियों को एक अवसर देना चाहिए और संवेदना के आधार पर सरकार ने ये निर्णय लिया है.
छत्तीसगढ़ सरकार में 33 हजार करोड़ तक कारोबार
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में शराब का चलन आम है. राज्य सरकार को सालाना लगभग 5 हजार करोड़ की आमदनी सिर्फ शराब की खरीदी-बिक्री से होती है. राज्य से सभी 27 जिलों में देशी शराब के 720 और विदेशी शराब के 380 ठेके हैं. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक साल 2014-15 में छत्तीसगढ़ में 21 हजार 67 लोग असमय मौत के शिकार हुए, इसमें से आधे की करीब मौतें शराब, शराब जनित साजिश और सड़क हादसों में हुई. वहीं साल 2001 और 2002 में राज्य में शराब का कारोबार मात्र 323 करोड़ का था, जो अब बढ़कर 33 हजार करोड़ तक पहुंच गया है.