छत्तीसगढ़ के रायपुर में बैंकों से लोन लेने के बाद उसे समय पर नहीं लौटाने और उसे हजम करने वालों के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी गई है. कलेक्टर ओपी चौधरी ने आधा दर्जन से ज्यादा मामलों की सुनवाई की और पुराना बकाया होने की वजह से ऐसे लोगों की 28 करोड़ की संपत्ति सीज कर उसे बैंकों के हवाले कर दिया है.
कलेक्टर कोर्ट के फैसले के बाद सभी संबंधित बैंक प्रशासनिक अमले की मदद से इन प्रापर्टी पर कब्जा करने की तैयारी में लग गए हैं. यह पहला मौका है जब जिला मजिस्ट्रेट ने अपने अधिकारों का उपयोग करते हुए बैंक की रकम हजम करने वालों को क़ानूनी डंडा दिखाया है.
बैंको से मिली शिकायत के बाद कलेक्टर ने एक ही दिन में आधा दर्जन मामलों का निपटारा कर बैंकों के पक्ष में फैसला सुनाया. इनमें से ज्यादातर मामलों में लोन लेने के बाद लोगों ने तय समय में बैंकों का पैसे अदा नहीं किया है. इस वजह से बैंक वालों ने प्रॉपर्टी में कब्जा दिलाने के लिए कलेक्टर कोर्ट में प्रकरण दाखिल किया था. बैंको की दलील थी कि लोन लेने वाले ग्राहकों की मंशा सरकारी धन को हजम करने की है.
केंद्र सरकार ने कुछ अरसा पहले एक आर्डिनेंस लाकर कर्ज की वसूली के लिए बैंकों को काफी अधिकार दे दिए थे. हालांकि इन पर कोई भी बैंक तभी अमल कर सकते हैं जब प्रशासन का आदेश हो. आमतौर पर बैंकों की ओर से मामला जिला मजिस्ट्रेट की अदालत में पहुंच ही नहीं पाता. बैंकों से जारी रकम को हजम करने वालों की कोई कमी नहीं, लेकिन अब बैंकिंग व्यवस्था में आये बदलाव से ऐसे ग्राहकों पर नकेल कसी जा रही है.