छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने सहमति से संबंध बनाने की उम्र 16 किए जाने का जोरदार विरोध किया है. उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर कहा है कि सहमति से संबंध के लिए उम्र 16 वर्ष रखने का केन्द्र सरकार का निर्णय देश के सामाजिक ताने बाने को छिन्न-भिन्न कर देगा.
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री रमन सिंह ने इस फैसले का तीव्र विरोध किया है और प्रधानमंत्री से इस पर फिर से विचार करने की मांग की है.
पत्र में मुख्यमंत्री ने कहा है कि ऐसा महसूस किया जा रहा है कि सहमति से संबंध बनाने की उम्र 16 वर्ष रखने का केन्द्र का निर्णय केवल महानगरों की परिस्थितियों पर आधारित सोच का नतीजा है. यह देश की सामाजिक व्यवस्था को छिन्न-भिन्न कर देगा.
उन्होंने कहा है कि यह बड़े दुख और चिंता का विषय है कि जो बात नई दिल्ली में 16 दिसम्बर 2012 को हुई घटना के बाद देश में बलात्कार और यौन हिंसा के विरूद्ध कड़े कानून बनाने को लेकर प्रारंभ हुई थी, वह अपनी मूल भावना से हटकर सहमति से सेक्स की उम्र कम करने के विवाद पर सीमित हो गयी है.
रमन सिंह ने पत्र में सवाल उठाया है कि पश्चिमी संस्कृति में कई अनुसरण करने वाली अच्छी परम्पराओं को अपनाने के बजाय हम ऐसी परम्परा को क्यों अपना रहे है जो हमारे परिवार और समाज की पारस्परिक निर्भरता को ही समाप्त कर दे.
उन्होंने कहा है कि हमारे देश में प्राचीन काल से ही परिवार नई पीढ़ी के लिए एक सामाजिक सुरक्षा तंत्र के रूप में कार्य करता है और बड़े-बूढ़ों के मार्गदर्शन में युवाओं को अपना भविष्य गढ़ने का मौका मिलता है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार के इस निर्णय से पूरे सामाजिक परिवेश में अराजकता फैल जायेगी. युवा स्वच्छंद और गैर जिम्मेदार प्रवृति के हो जायेंगे, परिवार टूट जायेंगे और बड़े-बूढ़ों की देखभाल करने वाला कोई नहीं होगा. मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को लिखा है कि देश के ग्रामीण क्षेत्र पहले से ही स्वास्थ्य क्षेत्र में विभित्र प्रकार के खतरों का सामना कर रहे हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में एनीमिया की समस्या व्याप्त है और यौन संबंध बनाने की उम्र कम करने से गरीब लड़कियां सबसे ज्यादा प्रभावित होगी. स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता के अभाव में गर्भधारण और गर्भपात के प्रकरणों की बहुतायत होगी और ग्रामीण क्षेत्र का स्वास्थ्य तंत्र खुले समाज की अवधारणा के इस दबाव को झेलने समर्थ नहीं होगा.
रमन सिंह ने कहा है कि वह यह भी उल्लेख करना चाहेंगे कि केन्द्रीय महिला एवं बाल कल्याण मंत्री कृष्णा तीरथ ने कहा था कि यह निर्णय बच्चों के विरूद्ध यौन अपराध सुरक्षा अधिनियम 2012 के भी खिलाफ है जिसमें 18 वर्ष से कम उम्र के व्यक्ति के साथ यौन संबंधों को अपराध की श्रेणी में रखा गया है. उन्होंने कहा कि इस निर्णय के कारण उत्पत्र होने वाले इस विरोधाभास को भी दूर करने की जरूरत है कि सेक्स के लिए तो न्यूनतम उम्र 16 वर्ष की जा रही है लेकिन विवाह के लिए 18 वर्ष.
उन्होंने इस निर्णय पर पुनर्विचार करने की मांग करते हुए कहा कि वे प्रधानमंत्री को यह विश्वास दिलाना चाहेंगे कि उनकी सरकार यौन हिंसा के विरूद्ध बनने वाले कानून का कड़ाई से पालन करेगी.