बलात्कार पीड़ित युवती को गर्भपात की अनुमति दिए जाने के मामले की एक याचिका पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने मेडिकल बोर्ड बनाने के निर्देश दिए हैं. पीड़िता के गर्भ में 24 सप्ताह का स्वस्थ भ्रूण है. बलात्कार की शिकार इस युवती के लिए उसके परिजनों ने शादी की कई कोशिशें कीं लेकिन शादी के लिए कोई सामने नहीं आया. आखिकर उसके परिजनों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर गर्भपात की अनुमति मांगी है.
जस्टिस संजय अग्रवाल की बेंच ने मामले की प्राथमिक सुनवाई के बाद राजनांदगांव जिले के कलेक्टर को तत्काल मेडिकल बोर्ड गठित कर पीड़ित युवती की पूरी जांच करने के निर्देश दिए हैं. हाईकोर्ट ने 2 अप्रैल को मेडिकल रिपोर्ट पेश करने को कहा है. हाईकोर्ट ने छत्तीसगढ़ शासन और स्वास्थ्य विभाग को नोटिस जारी कर इस मामले में उनका अभिमत मांगा है.
उधर हाईकोर्ट के इस निर्देश पर राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल के डीन समेत दो महिला सीनियर गाइनोकोलॉजिस्ट एक रेडियोलॉजिस्ट और एक सायकायट्रिस्ट को शामिल कर मेडिकल बोर्ड बनाया गया है. दरअसल मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट 1971 में प्रावधान है कि विशेष परिस्थितयों में अधिकतम 20 सप्ताह तक के भ्रूण का गर्भपात करवाया जा सकता है.
कुछ माह पहले एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 25 सप्ताह से गर्भपात की इजाजत दी थी. इसी प्रकरण को आधार बनाकर पीड़ित परिवार ने हाईकोर्ट के समक्ष याचिका दायर की है. पीड़ितों के मुताबिक, इस मामले में भी युवती को गर्भ ठहरे हुए 24 हफ्ते गुजर चुके हैं. यही नहीं उम्र कम होने की वजह से लड़की काफी कमजोर भी है. फिलहाल मामले की गंभीरता को देखते हुए हाईकोर्ट ने मेडिकल बोर्ड बनाने के लिए निर्देश दिए हैं. मेडिकल बोर्ड यह तय करेगा कि गर्भपात करने पर युवती की जान को खतरा तो नहीं है.