नदियों में जहाज चलाने की छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश सरकार की योजना को बड़ा झटका लगा है. इन दोनों राज्यों की अधिकांश नदियां राष्ट्रीय जल मार्ग से बाहर हो गई हैं. केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय ने इन दोनों राज्यों का प्रस्ताव खारिज कर दिया है. जल संसाधन मंत्रालय ने कहा है कि ये नदियां जहाज चलाने लायक नहीं बची हैं.
नौ नदियां जहाज चलाने लायक नहीं पाई गईं
छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश की नौ नदियां जहाज चलाने लायक नहीं पाई गईं. ये सभी नदियां अत्यधिक प्रदूषित और जल परिवहन के लिए पर्याप्त गहरी नहीं हैं. यह बात केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय की एक उच्चस्तरीय समिति ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में कही है.
केंद्र ने की थी पहल
केंद्र सरकार ने इसी वर्ष देश भर की 111 नदियों को राष्ट्रीय जल मार्ग घोषित करने की पहल की थी. इसमें छत्तीसगढ़ की तीन महानदी, खारुन और अरपा नदियों के नाम शामिल किये थे. जबकि मध्यप्रदेश की नर्मदा, शिप्रा, सोन, केन, बेतवा और तमस नदी शामिल की गई थी.
प्रदूषण की वजह से कम हुई गहराई
हालांकि, समिति ने सुझाया है कि मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की नदियां काफी गहरी हैं, लेकिन प्रदूषण की वजह से उनकी गहराई कम हो गई है. नाली और नालों के माध्यम से सीधे प्रदूषित पानी नदी में गिर रहा है. इसके कारण नदी का पानी तो प्रदूषित हो ही रहा है, साथ ही प्रदूषण कारक गहराई को भी कम कर रहे हैं. लिहाजा दोनों ही राज्यो के नौ परिवहन के प्रस्ताव ख़ारिज किये जाते हैं.
जहाज परिवहन को बताया खतरनाक
आमतौर पर माना जाता है कि बाढ़ आने से नदियों में रुकने वाली सामान्य गाद व गंदगी तेज बहाव में स्वतः बह जाती है. लेकिन अपशिष्ट पदार्थ नदियों के तली में इस प्रकार चिपक जाते हैं कि बाढ़ आदि में भी ये बह कर नहीं निकलते. लिहाजा इन नदियों में छोटे और सामान्य परिवहन जहाज चलाना खतरनाक साबित हो सकता है. समिति ने नदियों के बाधित प्रवाह पर भी चिंता जताई है.
कानूनी प्रावधान भी करने होंगे
समिति ने कहा है कि केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार 5200 किलोमीटर नदियों में और 485 किलोमीटर नहरों के माध्यम से यांत्रिक जलयानों को संचालन किया जा सकता है. लेकिन जलपरिवहन के सुचारू संचालन के लिए नदियों का प्रवाह बनाये रखना बहुत ही जरुरी है. इसके लिए कानूनी प्रावधान भी करने होंगे. तभी योजना मूर्त रूप ले सकेंगी.
कम बारिश के चलते योजना अधर में
छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के ज्यादातर जलाशयों में पानी की कमी के चलते भी प्रस्ताव को खरिज कर दिया गया. विशेषज्ञों ने अपनी रिपोर्ट में बताया की दोनों ही राज्यों के बड़े जलाशयों की कुल क्षमता का 28 से 32 फीसदी ही पानी साल भर रहता है. यही हाल नदियों का है. उनका भी पानी 0.04 मीटर पानी प्रतिवर्ष नीचे जा रहा है. नदियां सिकुड़ रही हैं.
चुनाव के मद्देनजर हुआ था फैसला
केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय की इस रिपोर्ट ने छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश दोनों ही राज्यों के प्रशासनिक गलियारे में खलबली मचा दी है. इन दोनों ही राज्यों में सन 2018 में विधानसभा के चुनाव होने हैं. बीजेपी सरकार की कोशिश थी कि चुनाव में जाने से पहले वो अपने इलाकों की नदियों में जहाजों की आवाजाही शुरू कर जनता को विकास की सौगात दे सके. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और मुख्यमंत्री रमन सिंह इस भरोसे में थे कि राज्यों की नदियों में चलने वाले जहाजों के सहारे वो भी चुनावी वैतरणी पार कर लेंगे. लेकिन उनके अरमानों पर पानी फिर गया है. अब इस मामले को लेकर दोनों ही राज्यों की सरकार उमा दीदी की शरण में चले गयी हैं. शायद वो ही नइया पार लगाएं.